🔱 आषाढ़ पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा) पर पाएं त्रि-शक्ति और गुरु-कृपा से जीवन के समस्त क्षेत्रों में उन्नति का दिव्य आशीर्वाद 🙏
आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है, जो आत्मिक साधना, ज्ञान प्राप्ति और गुरु-कृपा के लिए अत्यंत पुण्यकारी तिथि मानी जाती है। यह दिन जीवन में संतुलन, मार्गदर्शन और आंतरिक जागृति के लिए विशेष रूप से उपयुक्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने वेदों का संकलन कर मानवता को आध्यात्मिक ज्ञान का मार्ग दिखाया।
इस पावन अवसर पर यदि त्रिदेवी-माँ दुर्गा (शक्ति), माँ लक्ष्मी (श्री), और माँ सरस्वती (विद्या)-की पूजा गुरु तत्व के साथ संयुक्त रूप से की जाए, तो साधक को न केवल ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति और सुरक्षा के सुनिश्चित होने का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। त्रिदेवी आराधना से शरीर में ऊर्जा, मन में स्थिरता और आत्मा में शांति का संचार होता है।
इसीलिए आषाढ़ पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्री मंदिर द्वारा कालीघाट शक्तिपीठ, कोलकाता में एक विशेष त्रिदेवी अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। 51 शक्तिपीठों में से एक कालीघाट मंदिर वह पवित्र स्थान है जहाँ माता सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था। मान्यता है कि यहाँ की गई साधना भय, अज्ञान और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति दिलाकर साधक के जीवन में आध्यात्मिक तेज, धन और बुद्धि का समुचित संतुलन लाती है।
🔆 विशेष अनुष्ठान में सम्मिलित हैं:
11,000 बार दुर्गा बीज मंत्र जाप: "ॐ दुं दुर्गायै नमः" – जो जीवन में शक्ति, साहस और रक्षा प्रदान करता है।
अष्ट लक्ष्मी यज्ञ: माँ लक्ष्मी के आठ स्वरूपों का आह्वान कर जीवन में समृद्धि, वैभव और सौभाग्य का आह्वान के लिए
सरस्वती वंदना: बुद्धि, कला, और विवेक की प्रखरता हेतु
ऐसा माना जाता है कि जब त्रिदेवी शक्ति का एक साथ पूजन किया जाता है, तो साधक को सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों मार्गों पर सफलता प्राप्ति के शुभ आशिष प्राप्त होते हैं। इस आषाढ़ पूर्णिमा पर कालीघाट मंदिर में इस विशेष त्रिदेवी अनुष्ठान के भागी बनें और जीवन के तीनों स्तर शारीरिक, भौतिक और आत्मिक पर कल्याण की ओर अग्रसर हों।