🔱 पितृ दोष से राहत का त्रि-तीर्थ समाधान– पितृ पक्ष की एकादशी को इस यज्ञ से पाएं परिवार में खुशहाली का आशीर्वाद
🛕 जीवन में जब बार-बार कार्य बिगड़ने लगें, विवाह, संतान के स्वास्थ्य और करियर में रुकावटें लगातार सामने आएँ, तो इसे सामान्य संयोग नहीं माना जाता। शास्त्रों में बताया गया है कि यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है। जब पूर्वजों की आत्मा तृप्त नहीं होती या उनके लिए विधिवत श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान नहीं किए जाते, तो उनका असंतोष वंशजों के जीवन में बाधाएँ खड़ी करता है। पितृ पक्ष का प्रत्येक दिन पूर्वजों की शांति के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन विशेष रूप से पितृ पक्ष की एकादशी तिथि को किए गए कर्मकांड अत्यंत फलदायी माने जाते हैं। यह तिथि भगवान विष्णु की आराधना और तर्पण से जुड़ी है। मान्यता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध और दान पितरों की आत्मा को शीघ्र तृप्ति और गति प्रदान करता है तथा वंशजों के लिए अनंत पीढ़ियों तक पुण्यफल देने वाला होता है।
शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि पितृ दोष से मुक्ति के लिए केवल साधारण पूजा पर्याप्त नहीं होती, बल्कि एक गहन और वैदिक विधि से संपन्न अनुष्ठान आवश्यक है। विद्वानों द्वारा की गई यह पूजा पितरों को संतोष और मोक्ष की ओर अग्रसर करती है और वंशजों के जीवन में नई ऊर्जा, सुख और स्थिरता लाती है। इस पितृ पक्ष की एकादशी पर श्री मंदिर के माध्यम से एक विशेष त्रि-तीर्थ पितृ शांति अनुष्ठान संपन्न होगा। यह अनुष्ठान एक साथ तीन पवित्र तीर्थों पर कराया जाएगा –
📍 काशी – मोक्ष की नगरी, जहाँ पिशाच मोचन कुंड में पिंडदान करने से पितरों को शीघ्र तृप्ति और वंशजों को स्थिरता प्राप्त होती है।
📍 रामेश्वरम – जहाँ भगवान श्रीराम ने स्वयं अपने पितरों के लिए तर्पण कर श्राद्ध परंपरा को आगे बढ़ाया था।
📍 गोकर्ण – आत्मलिंग की भूमि, जहाँ कोटितीर्थ और समुद्र संगम पर किया गया त्रिपिंडी तर्पण पितरों की आत्मा को शांति और वंशजों को पितृ आशीष प्रदान करता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस पितृ पक्ष की एकादशी पर आयोजित त्रि-तीर्थ पितृ शांति अनुष्ठान में सम्मिलित होकर अपने पितरों को प्रसन्न करें और उनके आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि, संतुलन और परिवार में सुख-शांति की दिशा प्राप्त करें।
इसी के साथ यदि आपको अपने किसी दिवंगत-पूर्वज की तिथि याद नहीं तो महालया (सर्वपितृ) अमावस्या पर हो रहे अनुष्ठानों में भाग लेकर पुण्य के भागी बनें।