🚩राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला की पहली दिवाली 🚩
दिवाली एक प्राचीन हिंदू त्यौहार है जो कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता हैं दिवाली दीपों का त्यौहार है इसीलिए इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। हालांकि दिवाली क्यों मनाई जाती है, इस बारे में एक नहीं कई कहानियां प्रचलित हैं। स्कंद, पद्म और भविष्य पुराण में दिवाली को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। इसमें एक मुख्य कारण है कि कार्तिक अमावस्या पर जब श्रीराम ने रावण का वध कर माता सीता को वापस लाने के बाद अयोध्या की धरती पर कदम रखा, तो समस्त अयोध्यावासी उनके स्वागत के लिए घर-घर दीप जलाकर खुशी मनाने लगे। तभी से यह दिन दिवाली के रूप में भी मनाया जाने लगा। उनकी इस विजय को धर्म पर अधर्म की जीत और सत्य की शक्ति के रूप में माना जाता है। भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। भगवान राम सुखों का समझौता कर न्याय और सत्य के मार्ग पर चले और अपने इन्हीं गुणों के कारण वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। इन्होंने आदर्श राजा होने के साथ भाई, पति, बेटे की भूमिका बखूबी निभाई। इनके इन्हीं गुणों के कारण इनके परिवार में प्रेम एवं सद्भाव बना रहा।
वहीं माना जाता है कि जिस तरह से भगवान श्री राम ने संसार से रावण जैसे अधर्मी का विनाश किया उसी तरह से ये अपने भक्तों के जीवन से बुराईयों का भी नाश करते हैं। इनके इस विजय की खुशी में इस साल अयोध्या दीप उत्सव के साथ सरयू आरती का आयोजन किया जा रहा है। सरयू आरती, जो कि सरयू नदी के तट पर की जाएगी। इस आरती में दीये जलाए जाते हैं, जो प्रकाश और आनंद का प्रतीक हैं। सरयू नदी भगवान श्रीहरि विष्णु के अवतार श्रीराम की साक्षी है। रामचरितमानस के मुताबिक, सरयू नदी इतनी पवित्र है कि यहां स्नान करने मात्र से ही सभी तीर्थ स्थानों के दर्शन के पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए श्री राम जन्मभूमि अयोध्या के श्री प्राचीन राज द्वार मंदिर में दीवाली के शुभ अवसर पर अयोध्या दीप उत्सव और सरयू आरती का आयोजन किया जा रहा है। अयोध्या में मौजूद इस मंदिर को अयोध्या के सबसे ऊँचे मंदिरों में से एक माना जाता है। कहते हैं कि श्री राम, सीताजी एवं लक्ष्मणजी वनवास जाने के समय इसी मंदिर से होकर गए थे। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और बुराई पर नियंत्रण पाने एवं परिवार में सद्भाव का आशीष पाएं।