🌸 कृष्ण जन्माष्टमी पूजा 108 भोग सेवा और 🪔 अभिषेक में भाग लेकर भगवान कृष्ण की कृपा को आमंत्रित करें।
जब जीवन में खुशियां कम होने लगें और आर्थिक परेशानियां बढ़ जाएं, तो मन पर बोझ महसूस होने लगता है। कई बार ऐसा समय आता है जब लगता है कि सुख और समृद्धि हमसे दूर हो गए हैं। मन में शांति की चाह और स्थिर जीवन की खोज बढ़ जाती है। इंसान सोचता है कि कैसे फिर से जीवन में संतुलन और सुख-समृद्धि आ सके। ऐसे समय में पौराणिक और धार्मिक पर्व विशेष ऊर्जा का माध्यम माने जाते हैं, जो मन को नया उत्साह और जीवन को सकारात्मक दिशा दे सकते हैं। इन्हीं पावन पर्वों में से एक है कृष्ण जन्माष्टमी, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव है।
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला यह दिन पौराणिक कथाओं के अनुसार उस क्षण की याद दिलाता है, जब आधी रात के समय कारागार में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। उस समय अत्याचारी राजा कंस का भय पूरे नगर में फैला था, लेकिन कृष्ण जी के जन्म के साथ ही अंधकार में उजाला और निराशा में आशा की किरण जग उठी। नंद बाबा और माता यशोदा ने उन्हें वृंदावन में पाला, जहां उनकी लीलाओं ने लोगों के जीवन में प्रेम, भक्ति और आनंद का संचार किया। भगवान कृष्ण विष्णु के पूर्ण अवतार हैं, जो अपने भक्तों के कष्ट हरकर जीवन में सुख, संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करते हैं।
इस्कॉन गाजियाबाद में विशेष कृष्ण जन्माष्टमी पूजा
इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर श्री मंदिर द्वारा इस्कॉन गाजियाबाद मंदिर में विशेष कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का आयोजन किया जा रहा है। यह मंदिर अपने भव्य वास्तुकला और पारंपरिक वैदिक पूजा पद्धति के लिए प्रसिद्ध है। जन्माष्टमी के दिन यहां भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ की जाती है। इस दिन मंदिर में विशेष सजावट, भजन-कीर्तन और पारंपरिक रीति से अभिषेक किया जाता है। श्रद्धालु पूरे मन से भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करते हैं और उनके प्रति भक्ति भाव प्रकट करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस पावन दिन की गई पूजा से भगवान कृष्ण का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो न केवल मन की शांति और संतुलन देता है बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और स्थिरता भी लाता है। जन्माष्टमी का यह अवसर केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि आत्मिक जागरण, प्रेम और भक्ति का अद्भुत संगम है, जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।