🪐शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से परेशान हैं? इस जन्माष्टमी पर शनिवार के शुभ संयोग में भगवान कृष्ण की कृपा और शनि शांति पूजा से पाएं राहत ✨🙏
सनातन धर्म में शनि की साढ़ेसाती को 7.5 साल की एक कठिन समयावधि माना जाता है, जिसमें बार-बार रुकावटें, देरी और मानसिक थकान का अनुभव होता है। इसी तरह, ढैय्या लगभग 2.5 साल तक चलती है और यह व्यक्ति के धैर्य और आत्मबल की परीक्षा लेती है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस समय भगवान शनि हमारे कर्म, अनुशासन और सच्चाई को परखते हैं लेकिन अगर भक्ति सच्ची हो और उपाय शास्त्रों के अनुसार किए जाएं, तो शनि के प्रभाव को शांत किया जा सकता है। इस बार जन्माष्टमी का पर्व शनिवार को पड़ रहा है, जो भगवान कृष्ण और शनिदेव दोनों की कृपा पाने का एक विशेष संयोग माना जा रहा है। इस शुभ अवसर पर शनि दोषों से मुक्ति और जीवन में स्थिरता लाने के लिए किए गए अनुष्ठान अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
🌟 शनिवार और जन्माष्टमी के दुर्लभ संयोग पर: श्री मंदिर द्वारा कोसीकलां स्थित श्री शनि देव मंदिर में विशेष शनि–कृष्ण पूजन अनुष्ठान🛕
इस वर्ष, जब जन्माष्टमी का पर्व शनिवार को आ रहा है और चारों ओर कृष्णमय वातावरण होगा, उसी दिन कोसीकलां स्थित प्राचीन श्री शनि देव मंदिर में एक विशेष पूजा का आयोजन किया जा रहा है। यह पूजा उन भक्तों के लिए विशेष मानी जा रही है जो शनि ग्रह से जुड़ी बाधाओं, विलंब या मानसिक तनाव से राहत पाना चाहते हैं।
🔹 शनि कवच स्तोत्र पाठ – शनि दोष से सुरक्षा, धैर्य और आत्मबल के लिए पारंपरिक श्लोकों का जाप
🔹 शनि शांति यज्ञ – मानसिक स्थिरता और कार्यों की रुकावटें दूर करने के लिए विशेष हवन
🔹 कृष्ण गोविंदा मंत्र जाप – भगवान कृष्ण के नाम से मन को शांति और जीवन को संतुलन देने वाली साधना
📖 भगवान कृष्ण और शनि देव से जुड़ी एक रोचक कथा
कथानुसार, जब माता यशोदा ने भगवान शनि को बालकृष्ण के दर्शन नहीं करने दिए, तब शनि देव नंदगाँव के पास एक जंगल में जाकर तप करने लगे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण कोयल (कोकिला) के रूप में प्रकट हुए और उन्हें दर्शन दिए। तभी से माना जाता है कि भगवान कृष्ण का नाम जपने से शनि के बुरे प्रभाव शांत होते हैं।
इस जन्माष्टमी, जब शनिवार का शुभ संयोग बन रहा है – पाएं शांति और नई दिशा🌟
अगर आप भी शनि दशा, कामों में रुकावट या मन की अशांति का अनुभव कर रहे हैं, तो यह अनुष्ठान आपके लिए विशेष लाभकारी हो सकता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लेकर जन्माष्टमी के दिन शनि दोष से राहत और जीवन में नई ऊर्जा व स्पष्टता पाई जा सकती है।