क्या आपको लगता है कि जीवन चारों तरफ़ से शत्रुओं, कानूनी परेशानियों और रुकावटों से घिरा हुआ है? महाअष्टमी की यह विशेष महापूजा परंपरागत रूप से दैवीय सुरक्षा का कवच प्रदान करने वाली मानी जाती है।
कभी-कभी जीवन एक निरंतर संघर्ष जैसा लगता है। छिपे हुए शत्रु, अन्यायपूर्ण मुकदमे और अनगिनत समस्याएँ इंसान को थका देती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि ऐसी परेशानियाँ अक्सर नकारात्मक ऊर्जाओं के कारण उत्पन्न होती हैं, जो शांति और सफलता की राह में बाधा डालती हैं। महाअष्टमी की रात, जब देव और मानव लोक के बीच का आवरण पतला होता है, तब विशेष साधना का अवसर माना जाता है। यही वह समय है जब हमारी परंपरा के सबसे प्रबल रक्षक माँ चामुंडा और भगवान भैरव का आह्वान किया जाता है, और वह भी उनके शक्ति स्रोत, चामुंडा देवी शक्तिपीठ में
देवी माहात्म्य में वर्णन आता है कि जब चंड और मुंड जैसे असुरों ने माँ दुर्गा पर आक्रमण किया, तो उनके ललाट से प्रकट हुईं माँ चामुंडा, उनकी प्रचंड शक्ति से दोनों असुर तुरंत परास्त हुए और उनके सिर माँ दुर्गा के चरणों में रख दिए गए। माँ चामुंडा को बुराई पर विजय की सर्वोच्च शक्ति माना जाता है। इसी शक्तिपीठ की रक्षा भगवान भैरव करते हैं, जिन्हें भगवान शिव का उग्र रूप माना गया है। वे भय का नाश करने वाले और अपने भक्तों की रक्षा करने वाले देव हैं। माँ चामुंडा और भगवान भैरव मिलकर किसी भी नकारात्मक शक्ति के विरुद्ध अजेय बल का निर्माण करते हैं।
महाअष्टमी की इस रात्रि में चामुंडा-भैरव महा रक्षा रात्रि अनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है। चामुंडा देवी शक्तिपीठ पर पूरी रात मंत्रोच्चार और विशेष अर्पण किए जाते हैं। परंपरागत रूप से यह साधना भक्त के चारों ओर एक आध्यात्मिक कवच या रक्षा-कवच का निर्माण करने वाली मानी जाती है, जो कठिनाइयों से बचाव, संघर्षों में सहारा और निर्भय जीवन की दिशा दिखाती है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस महा रक्षा पूजन में सम्मिलित होकर माँ चामुंडा और भगवान भैरव के दिव्य आशीर्वाद से जुड़ें। यह साधना परिवार की सुरक्षा, बाधाओं से राहत और जीवन में साहस व संतुलन के लिए विशेष मानी जाती है।