भगवान श्री काल भैरव, भगवान शिव के उग्र और रक्षक स्वरूप माने जाते हैं। उन्हें समय, न्याय और भय से संबंधित शक्तियों का अधिपति माना गया है। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि भैरव देवता रात के अंधकार में भी अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और जीवन में आने वाली नकारात्मक ऊर्जाओं और संकटों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। उन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है क्योंकि इस पवित्र नगरी में आने वाले हर भक्त की रक्षा का दायित्व उन्हीं पर माना जाता है।
मार्गशीर्ष मास में भैरव अष्टमी का दिन आता है, जिसे भैरव देव के प्रकट होने का पावन दिवस माना जाता है। इस दिन की निशित काल में की गई साधना विशेष फलदायी मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस समय किए गए मंत्र-जाप और भैरव साधना से व्यक्ति को अचानक आने वाले भय, तनाव, शत्रु बाधा और अदृश्य नकारात्मक प्रभावों से राहत मिलती है। भैरव अष्टमी भक्तों के जीवन में साहस, आत्मबल और मानसिक स्थिरता बढ़ाने का अवसर भी देती है।
इसी पावन अवसर को ध्यान में रखते हुए, काशी के प्रसिद्ध श्री बटुक भैरव मंदिर में इस वर्ष निशित काल में “भैरव महायज्ञ एवं रक्त पुष्प अर्चन” का विशेष अनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है। निशित काल, यानी आधी रात का समय, भैरव साधना के लिए सबसे प्रभावशाली माना गया है क्योंकि इस समय भैरव शक्ति अपने पूर्ण जाग्रत रूप में रहती है। शास्त्रों के अनुसार, इस समय की गई पूजा और मंत्र-जाप जल्दी असर करते हैं और नकारात्मक ऊर्जा को शांत करने में मदद मिलती है।
इस अनुष्ठान में विद्वान आचार्य द्वारा भैरव महायज्ञ और रक्त पुष्प अर्चन विधि से पूजा संपन्न की जाएगी। परंपरा के अनुसार, इस साधना से भय, शत्रु बाधा, नज़र दोष और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है। साथ ही यह साधना व्यक्ति के भीतर छिपे साहस, आत्मविश्वास और मानसिक स्थिरता को प्रबल करती है। कहा जाता है कि यहां की गई साधना भक्त के चारों ओर एक अदृश्य सुरक्षा कवच का निर्माण करती है, जो जीवन में आने वाली अप्रत्याशित परेशानियों और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा का अनुभव कराती है।
🙏आप भी श्री मंदिर के माध्यम से आयोजित इस दिव्य अनुष्ठान में सहभागी बनकर भक्त श्री काल भैरव की कृपा का अनुभव कर सकते हैं और अपने जीवन में धर्म, साहस और अदृश्य सुरक्षा की नई ऊर्जा का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।🙏