🙏बसंत पंचमी शाही स्नान के दिन त्रिवेणी संगम पर मां सरस्वती की पूजा क्यों है इतना महत्वपूर्ण?✒️📚
प्रयागराज में हर 12 साल में एक बार आयोजित होने वाला महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम है। इस दौरान होने वाले शाही स्नान सबसे अधिक महत्व रखता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं। इस वर्ष चौथा शाही स्नान 3 फरवरी यानि बसंत पंचमी के शुभ दिन पड़ रहा है। मान्यता है कि इस दुर्लभ संयोग के दौरान इस दिन किया गया कोई भी अनुष्ठान कई गुना आशीर्वाद देता है। बसंत पंचमी, ज्ञान, बुद्धि और रचनात्मकता की दिव्य अवतार देवी सरस्वती को समर्पित दिन है। कहते हैं कि इस पवित्र दिन पर मां सरस्वती की पूजा करने से बौद्धिक प्रतिभा, कलात्मकता और वाक्पटुता का गहरा आशीर्वाद मिलता है। इसलिए इस शुभ दिन पर त्रिवेणी संगम पर 11,000 मां सरस्वती बीज मंत्र जाप, सरस्वती सहस्रनाम पूजा और यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर महाकुंभ की दिव्य ऊर्जा में डुबने और बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा में भाग लेने का यह आपके जीवन में एक बार मिलने वाला मौका है। हर 12 साल में एक बार होने वाले इस पवित्र संगम में ऐसा आशीर्वाद प्रदान करता है जो किसी अन्य समय में नहीं मिल सकता।
माँ सरस्वती का ऋग्वेद से गहरा संबंध है, जहाँ उन्हें वाणी की देवी यानी वाक देवी के रूप में वर्णित किया गया है। कहते हैं कि वे भक्तों को बेहतरीन संचार कौशल का आशीर्वाद देती हैं। "ओम ऐं सरस्वत्यै नमः" सरस्वती का बीज मंत्र है, जिसका जाप करने से भक्तों को संचार कौशल में बढोत्तरी होती है। यह आपके पेशेवर संबंध काफी बेहतर होते हैं, आत्मविश्वास बढ़ता है और नेतृत्व की भूमिका के द्वार खुल जाते हैं। प्रभावशाली संचार कौशल विचारों को व्यक्त करने, दूसरों को मनाने और मजबूत रिश्ते बनाने में मददगार होता है, जो आज की इस प्रतिस्पर्धी दुनिया में करियर की उन्नति के लिए आवश्यक हैं। देवी सरस्वती को दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक संस्कृत की निर्माता और वेदों सहित सभी शास्त्रों की जननी भी माना जाता है। माँ सरस्वती के चार हाथों में चार वस्तुएं हैं: पुस्तक, माला, जल का बर्तन और वीणा, ये सभी ज्ञान के आवश्यक तत्वों का प्रतीक हैं। माना जाता है कि सरस्वती सहस्रनाम पूजा और यज्ञ के साथ-साथ 11,000 माँ सरस्वती बीज मंत्र जाप करने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह केवल एक आध्यात्मिक आयोजन नहीं है बल्कि जीवन में एक बार मिलने वाला मौका है जो अगले 12 वर्षों तक वापस नहीं आएगा। महाकुंभ के दौरान बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा करने का अवसर न चूकें।