🪶 सर्वपितृ अमावस्या पर यमुना तट पर पितृ अनुष्ठानों का स्वर्णिम अवसर - पाएं पूर्वजों का रुका हुआ आशीर्वाद
मथुरा में यमुना तट पर दूध अर्पण और पितृ शांति पूजा का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है। मान्यता है कि यमुना जी को दूध अर्पित करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उनका आशीर्वाद मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, यमुना नदी को पितृ तृप्ति और मोक्षदायिनी माना गया है। पवित्र मंत्रों के साथ की जाने वाली यह पूजा पितृ दोष के दुष्प्रभाव दूर कर परिवार में सुख-समृद्धि, शांति और सौहार्द ला सकती है। मथुरा के पावन विश्राम घाट-यमुना तट पर किया गया यह अनुष्ठान पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का स्वर्णिम अवसर है, इसे हाथ से न जाने दें!
🪶 नारायण बलि, नाग बलि और यम दंड मुक्ति पूजा पितृ दोष, अकाल मृत्यु और अनजाने अपराधों से राहत के लिए किए जाने वाले अत्यंत प्रभावी वैदिक अनुष्ठान हैं। नारायण बलि पूजा उन आत्माओं की शांति के लिए की जाती है जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो। नाग बलि पूजा नाग दोष और संबंधित बाधाओं को दूर करने में सहायक है। यम दंड मुक्ति पूजा जन्मों के पाप, बंधन और संकटों से मुक्ति की प्रार्थना है। शास्त्रों के अनुसार, इन विशेष अनुष्ठानों से पितरों की आत्मा तृप्त होती है, पितृ दोष शांति मिलती है और जीवन में सुख, समृद्धि और स्थिरता बढ़ती है।
🪶 विश्राम घाट का क्या महत्व है?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, विश्राम घाट वही स्थान है, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध के बाद विश्राम किया था। इसलिए इसे 'विश्राम' घाट कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर माँ यमुना को दूध अर्पित करने से अनुष्ठान का आध्यात्मिक प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। माँ यमुना का पवित्र दूध अभिषेक भक्तों के जीवन से नकारात्मकता को दूर करता है, पूर्वजों को प्रसन्न करता है और आंतरिक शांति और शक्ति प्रदान करता है।
🍃 विधि-विधान से विद्वान ब्राह्मणों द्वारा पवित्र यमुना तट पर किए गए श्राद्ध, तर्पण और पूजा से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उनका आशीर्वाद मिलता है। मान्यता है कि यह अनुष्ठान पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं को पूरा करने के लिए बेहद फलदायी माना गया है। श्री मंदिर द्वारा घर बैठे इस अनुष्ठान में भाग लेने का अवसर हाथ से न जाने दें।