🌸 इस अक्षय तृतीया, लक्ष्मी नरसिंह की कृपा से अपने जीवन में अक्षय समृद्धि का स्वागत करें।
🛕 तिरुपति बालाजी क्षेत्र में पवित्र अनुष्ठानों में भाग लें और नियमित आय, धन और समृद्धि आकर्षित करने के लिए दिव्य कृपा प्राप्त करें।
अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू कैलेंडर में सबसे पवित्र दिनों में से एक है। "अक्षय" शब्द का मतलब है – जो कभी खत्म न हो या हमेशा बना रहे। अर्थात इस दिन शुरू किया गया कार्य या खरीदी गई कोई भी चीज़ - चाहे वह सोना, आभूषण, संपत्ति, वाहन या नया घर हो - फलती-फूलती रहती है। यह दिन त्रेतायुग की शुरुआत भी है, जिससे इसकी आध्यात्मिक महत्ता और बढ़ जाती है। अक्षय तृतीया को सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन शुरू की गई कोई भी क्रिया अपने आप शुभ फल देती है, और इसके लिए किसी ज्योतिषी की सलाह की आवश्यकता नहीं होती। जब यह दिन बुधवार को पड़ता है, तो इसे और भी अधिक शुभ माना जाता है। खास बात यह है कि अक्षय तृतीया वही दिन है जब सूर्य और चंद्रमा दोनों ही उच्च राशि में होते हैं।
प्रचलित कथा के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को दिव्य अक्षय पात्र दिया, जो कभी खाली नहीं होता और जिससे उसे अनंत समृद्धि प्राप्त हुई। यही अक्षय तृतीया की निरंतर समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन भक्त लक्ष्मी नरसिंह की पूजा करते हैं, जो भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह और देवी लक्ष्मी का संगम रूप हैं। नरसिंह भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध करने के बाद प्रह्लाद की पीड़ा से क्रोधित होकर देवी लक्ष्मी की शरण ली, जिन्होंने उन्हें शांत किया। तब से लक्ष्मी नरसिंह को शांति, सुरक्षा और दिव्य कृपा के प्रतीक रूप में पूजा जाता है।
अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर श्री मंदिर द्वारा तिरुपति तीर्थ क्षेत्र में श्री लक्ष्मी नरसिंह संपत्ति सिद्धि, ऐश्वर्य लाभ पूजा और श्री सूक्त होम का आयोजन किया जा रहा है।यह पवित्र स्थान भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है और यहां की पूजा से नियमित आय, समृद्धि और दिव्य कृपा प्राप्त होती है। इस अक्षय तृतीया पर श्री मंदिर के माध्यम से पूजा में भाग लें और लक्ष्मी नरसिंह का आशीर्वाद पाएं।