हरिद्वार में स्थित अयप्पा स्वामी मंदिर का विशेष महत्व है। इस मंदिर की स्थापना स्वामी विमोचानानंद ने की थी। मान्यताओं के अनुसार, भगवान अय्यप्पा ने स्वयं स्वामी विमोचनानंद जी को दर्शन देकर निर्देश दिया कि वे सबरीमला के विग्रह को उत्तर भारत के पवित्र स्थल हरिद्वार में स्थापित करें। केरल के बाद हरिद्वार का यह मंदिर पहला अयप्पा स्वामी का मंदिर था। इसके बाद कई अन्य जगहों पर भी मंदिर का निर्माण कराया गया। इस मंदिर में प्रवेश करने और भगवान अयप्पा के दर्शन करने से पहले भक्तों को 41 दिन तक सभी बंधनों से मुक्त होकर होकर ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है। इन 41 दिनों तक भक्त केवल दिन में एक बार ही साधारण भोजन कर सकते हैं और नीले और काले रंग के अलावा वह और कोई वस्त्र धारण नहीं कर सकते हैं। भक्तों को इन 41 दिनों के दौरान जमीन पर ही सोना पड़ता है। हरिद्वार में स्थित इस मंदिर में दैनिक पूजा और नित्य नेवैद्यम के साथ, यहाँ मंडल पूजा, मकरविलक्कु, विषु उत्सव, वेद पारायणम, भागवत सप्ताहम और नारायणीयम पाठ जैसे विशेष आयोजन किए जाते हैं।
मान्यता है कि इस मंदिर में चतुर्वेद पारायणम पूजा, श्री रुद्रम और श्री सूक्तम पाठ करने से भगवान अयप्पा द्वारा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति और अज्ञान व बुराई पर विजय का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए श्री मंदिर द्वारा हरिद्वार में स्थित अयप्पा स्वामी मंदिर में 10 ब्राह्मणों द्वारा चतुर्वेद पारायणम पूजा, श्री रुद्रम और श्री सूक्तम पाठ का आयोजन कराया जा रहा है। यह अनुष्ठान 7 घंटे तक निरंतर चलेगा। इस पूजा के दौरान मंदिर परिसर को गाय के गोबर और हल्दी मिश्रित पानी से शुद्ध किया जाएगा। इसके बाद चारों वेद (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद या अथर्ववेद) का अंश पाठ किया जाएगा। इसके पश्चात श्री रुद्रम और श्री सूक्तम पाठ भी किया जाएगा, जो वेदों में वर्णित है। मान्यता है कि हरिद्वार में स्थित अयप्पा स्वामी मंदिर में यह अनुष्ठान करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति और अज्ञानता व बुराई से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और भगवान अयप्पा का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।