🌼 शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव आदिदेव हैं। वे ही प्राण शक्ति, आंतरिक हिम्मत और शरीर को संभालने वाली जीवन ऊर्जा का आधार माने जाते हैं। उनका महामृत्युंजय मंत्र “त्रयम्बक कवच” कहलाता है, जिसे लंबी आयु और कठिन समय को शांत करने वाली प्रार्थना माना गया है। सोमवार का दिन शिव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन की प्रार्थनाएँ अधिक शुद्ध भाव से भगवान तक पहुँचती हैं और स्वास्थ्य तथा मानसिक शांति के लिए विशेष महत्व रखती हैं। इसी कारण भक्त सोमवार को व्रत रखते हैं, ज्योतिर्लिंगों में पूजा करते हैं और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं।
🌼 भगवान धन्वंतरि को समुद्र मंथन से प्रकट हुए दिव्य वैद्य माना गया है। उन्हें आयुर्वेद का स्वरूप भी कहा गया है। धन्वंतरि की उपासना शरीर की मजबूती, संतुलन और रोगों से उबरने की क्षमता के लिए शुभ मानी जाती है। जब भगवान शिव और भगवान धन्वंतरि इन दोनों की स्वास्थ्य से जुड़ी दिव्य ऊर्जाओं की संयुक्त पूजा की जाती है, तो परंपरा में इसे ऐसा संयोग माना गया है जो शरीर, मन और प्राण स्तर पर सौम्य संतुलन बनाता है।
🌼 पवित्र ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में किया जाने वाला महामृत्युंजय जाप गहरी आध्यात्मिक शुद्धि का माध्यम माना जाता है। यह धारणा है कि मंत्र के दोहराव से मन मजबूत होता है और भीतर की जीवन ऊर्जा जागृत होने का अनुभव होता है। वेदों में इस मंत्र को ऐसा आरोग्यकारी स्तोत्र बताया गया है, जो जीवन को कठिन परिस्थितियों से निकालने की दिशा प्रदान करता है।
🌼 इसके बाद धन्वंतरि शक्ति हवन होता है, जिसमें घी, जड़ी-बूटियाँ और आयुर्वेदिक सामग्री अग्नि में अर्पित की जाती है। वेदों में अग्नि देव को प्रार्थनाएँ देवताओं तक पहुँचाने वाला माना गया है। स्वास्थ्य से संबंधित सामग्री और मंत्रों के साथ किया गया यह होम शरीर और मन के संतुलन तथा पुनर्स्थापन के लिए शुभ माना गया है। मंत्रों की ध्वनि, अग्नि की ऊर्जा और ज्योतिर्लिंग का वातावरण मिलकर एक शांत और उपचारकारी अनुभूति बनाते हैं।
🌼 भक्त श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में सम्मिलित होकर स्वास्थ्य, ऊर्जा और मानसिक संतुलन के लिए एक सकारात्मक आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।