सनातन में मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा की पावन रात्रि को माता की दिव्य शक्ति विशेष रूप से आसानी से अनुभव की जा सकती है। इस रात पूर्णिमा का उज्ज्वल चंद्र प्रकाश और अश्विनी नक्षत्र की आध्यात्मिक शांति एक साथ मिलकर एक पवित्र और शक्तिशाली वातावरण बनाते हैं। जब इस रात्रि में निशित काल (मध्य रात्रि के दिव्य समय) में साधना की जाती है—जो महाकाल का समय माना गया है—तब मां महाकाली की उपासना विशेष रूप से फलदायी मानी गई है। यह पूजा कुरुक्षेत्र स्थित श्री भद्रकाली शक्ति पीठ में होने जा रही है, जो इसके महत्व को कई गुना बढ़ा देता है।
कुरुक्षेत्र का श्री भद्रकाली शक्ति पीठ आध्यात्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र स्थान है। इसे सवित्री पीठ, देवी पीठ, कालिका पीठ और आदि पीठ के नाम से भी जाना जाता है। यह 52 शक्तिपीठों में से एक है, जहां माता सती के अंगों का पतन हुआ था। इसलिए, यह स्थल शक्ति स्वरूपा माता की अत्यंत शक्तिशाली उपस्थिति का प्रतीक माना गया है। इस पावन अवसर पर निशित काल में विशेष पूजा का आयोजन होगा, जिसमें 11,000 माँ काली मूल मंत्र जप और काली कर्पूराष्टक का पाठ विद्वान पुरोहितों द्वारा किया जाएगा।
इस कार्तिक पूर्णिमा की रात एक विशेष तंत्रपीठ महासाधना की जाएगी, जिसमें शामिल है:
11,000 माँ काली मूल मंत्र जप, जिससे देवी की कृपा और उपस्थिति जाग्रत होती है।
काली कर्पूराष्टक का पाठ, जो अंतः तेज (भीतरी शक्ति और स्पष्टता) को प्रकट करने में सहायक माना गया है।
भक्त इस पूजा में भाग लेते हैं, ताकि उन्हें:
जीवन में विचारों और कार्यों में निडरता का अनुभव हो
कठिन परिस्थितियों का धैर्य से सामना करने की शक्ति मिले
नकारात्मक ऊर्जा, भ्रम या मानसिक भारीपन से सुरक्षा के रास्ते खुलें
आंतरिक स्थिरता और आत्मविश्वास के साथ उन्नति का संचार हो
मां काली की इस रात्रि साधना में श्रद्धापूर्ण सहभागिता से मन, आत्मा और जीवन में सुरक्षा, शांति और मानसिक दृढ़ता प्राप्त होने की मान्यता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पवित्र अनुष्ठान में सम्मिलित होकर माँ काली का आशीर्वाद प्राप्त करें और भय तथा नकारात्मक ऊर्जाओं से राहत का आशीष पाएं।