🔹सनातन धर्म में शुक्रवार को अत्यंत शुभ माना गया है क्योंकि यह शुक्र ग्रह से संबंधित होता है। शुक्र ग्रह धन, वैभव, सुख, सौंदर्य और समृद्धि का कारक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि वर्ष 2026 के पहले शुक्रवार की आध्यात्मिक ऊर्जा विशेष रूप से प्रबल होती है, जो धन आकर्षण और आर्थिक अस्थिरता को संतुलित करने में सहायक होती है। इस पावन दिन माता लक्ष्मी की उपासना की जाती है, जिससे धन, सौभाग्य और भौतिक स्थिरता का आह्वान होता है। किंतु शास्त्रों के अनुसार सच्ची समृद्धि केवल धन अर्जित करने से ही नहीं, बल्कि उसकी रक्षा और संरक्षण से भी प्राप्त होती है।
🔹 इसी संतुलन को बनाए रखने के लिए माता लक्ष्मी के साथ देवताओं के कोषाध्यक्ष भगवान कुबेर और परम रक्षक भगवान बटुक भैरव की संयुक्त उपासना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कुबेर ने भगवान शिव की कठोर तपस्या के पश्चात यह पद प्राप्त किया था, जबकि बटुक भैरव भगवान शिव के ही एक बाल किंतु कल्याणकारी स्वरूप हैं, जो भक्तों को भय, हानि, बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखते हैं। इन तीनों की संयुक्त आराधना से धन और उन्नति पर एक शक्तिशाली आध्यात्मिक कवच स्थापित होता है।
🔹 इस कुबेर भैरव लक्ष्मी धन रक्षक विशेष पूजा में विद्वान आचार्य 11,000 कुबेर मंत्र जाप करते हैं, जिससे धन आगमन, आर्थिक वृद्धि और नए अवसरों का मार्ग प्रशस्त होता है। इसके पश्चात श्री सूक्त हवन किया जाता है, जिसके माध्यम से माता लक्ष्मी से गृहस्थ जीवन में समृद्धि और सौहार्द की कामना की जाती है। अनुष्ठान का समापन स्वर्णाकर्षण भैरव कवच के साथ होता है, जिसके बारे में यह धारणा है कि यह संचित धन की रक्षा करता है, धन हानि को रोकता है और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता प्रदान करता है।
🔹यह पावन पूजा आर्थिक स्थिरता, धन संरक्षण और दीर्घकालीन समृद्धि की भावना से संपन्न की जाती है, जिससे भक्तजन वर्ष 2026 की शुरुआत आत्मबल, सुरक्षा और शुभता के साथ कर सकें।