भगवान हनुमान को उनकी अपार शक्ति, अटूट भक्ति और संकटमोचन स्वरूप के लिए जाना जाता है। उन्हें कलियुग का चिरंजीवी देवता माना गया है, जिनकी उपासना से व्यक्ति में साहस और स्थिरता का भाव विकसित होता है। इस बार का मंगलवार विशेष माना जा रहा है, क्योंकि यह अमावस्या तिथि के साथ पड़ रहा है। यह संयोग शास्त्रों में महत्वपूर्ण बताया गया है, जब मंगल ग्रह की ऊर्जा और अमावस्या की आत्मशुद्धि की शक्ति एक साथ प्रभाव डालती हैं। इस दिन हनुमान जी की पूजा का उद्देश्य मन को दृढ़ बनाना, नकारात्मक विचारों से दूरी बनाना और जीवन में संयम लाना माना जाता है।
इसी मंगल-अमावस्या संयोग के अवसर पर श्री हनुमान गढ़ी मंदिर में एक विशेष अनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है। यह मंदिर रामायण काल से संबंधित एक प्राचीन तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि लंका विजय के बाद भगवान श्रीराम ने हनुमान जी को यहीं विश्राम और निवास का स्थान प्रदान किया था। यह भी कहा जाता है कि यह स्थान आज भी श्रद्धा और भक्ति के भाव से जुड़ा हुआ है, जहाँ भक्त अपने मन की प्रार्थना करते हैं और आत्मिक शांति का अनुभव करते हैं। इस अवसर पर मंदिर में 11,000 हनुमान मूल मंत्रों का जाप, सिंदूर अभिषेक और संकटमोचन यज्ञ आयोजित किए जाएंगे, जिनका उद्देश्य सामूहिक साधना और भक्ति के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार करना है।
🌕 क्यों हनुमान जी को प्रिय है सिंदूर?
प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक बार हनुमान जी ने माता सीता को अपनी मांग में सिंदूर लगाते देखा। जब उन्होंने कारण पूछा, तो माता ने बताया कि वह भगवान राम की दीर्घायु और सुख-शांति के लिए ऐसा करती हैं। यह सुनकर हनुमान जी इतने भावुक हुए कि उन्होंने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया ताकि प्रभु प्रसन्न हों। उनकी इस भावना से भगवान राम अत्यंत प्रसन्न हुए और तभी से हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करने की परंपरा प्रचलित हुई। विशेषकर मंगलवार की अमावस्या पर सिंदूर चढ़ाना शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन यह पूजा नकारात्मकता और मानसिक भारीपन को कम करने में सहायक मानी जाती है।
हनुमान मूल मंत्र का जाप उनके शक्ति और साहस के स्वरूप का स्मरण कराता है। कहा जाता है कि इसका जप भय, मानसिक अस्थिरता और शत्रुता जैसी स्थितियों से मन को दृढ़ बनाने में मदद करता है। जो व्यक्ति जीवन में किसी कठिनाई या अनिश्चितता से गुजर रहा हो, उसके लिए यह दिन आत्मबल और स्पष्टता प्राप्त करने का उपयुक्त अवसर माना जाता है।
इस मंगल-अमावस्या पर श्री मंदिर में आयोजित विशेष अनुष्ठान में श्रद्धापूर्वक भाग लेकर भक्त अपने मन और जीवन में स्थिरता तथा आंतरिक शक्ति का अनुभव कर सकते हैं।🌟🙏