आज के समय में जीवन की जिम्मेदारियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। आर्थिक दबाव, भविष्य की अनिश्चितता और पारिवारिक आवश्यकताएँ कई बार मन को भीतर से थका देती हैं। जब निरंतर प्रयासों के बाद भी वित्तीय स्थिरता दूर लगने लगे, तब चिंता और असंतुलन स्वाभाविक हो जाता है। ऐसे क्षणों में आध्यात्मिक साधना मन को सहारा देने, भरोसा लौटाने और जीवन में सकारात्मक दिशा प्रदान करने का माध्यम बनती है। इसी भावना के साथ 2026 में वित्तीय बोझ से राहत और समृद्धि पाने के लिए इस वैकुंठ एकादशी पर एक विशेष देवी साधना का आयोजन किया जा रहा है।
इस पावन अनुष्ठान में महालक्ष्मी माता और तुलसी माता की विशेष पूजा की जाती है। महालक्ष्मी माता धन, समृद्धि और स्थिरता की अधिष्ठात्री हैं, जबकि तुलसी माता घर और मन के वातावरण को पवित्र और संतुलित करती हैं। इनके मंत्रोच्चार और अर्चना से मन में शांति का संचार होता है और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।
वैकुंठ एकादशी भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र तिथि है। यह दिन आत्मचिंतन, संयम और एकाग्रता के माध्यम से जीवन को नई दिशा देने का अवसर प्रदान करता है। इसी शुभ अवसर पर 1,00,008 तुलसी अर्चना तथा कोल्हापुर महालक्ष्मी 11 किलो घी श्री सूक्त महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। यह दिव्य अनुष्ठान हैदराबाद के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर और कोल्हापुर के शक्तिपीठ माँ महालक्ष्मी अम्बाबाई मंदिर में पारंपरिक वैदिक विधि से संपन्न होगा। यज्ञ में प्रयुक्त घी वातावरण को शुद्ध कर आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रवाह को सशक्त करता है।
इन पवित्र धामों में सम्पन्न यह साधना भक्तों को भीतर से स्थिर होने, आर्थिक चिंताओं से उबरने और मन में विश्वास जागृत करने का अनुभव प्रदान कर सकती है। मंत्रोच्चार और अर्चना के साथ जुड़कर जीवन की नकारात्मकता धीरे-धीरे शांत होने लगती है और आगे बढ़ने का साहस मिलता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस वैकुंठ एकादशी पर तुलसी अर्चना और महालक्ष्मी यज्ञ में सहभागी बनकर इस पावन अवसर का अनुभव किया जा सकता है। यह अनुष्ठान उन सभी के लिए एक अवसर है, जो 2026 में आर्थिक स्थिरता, मानसिक शांति और संतुलित जीवन की कामना कर रहे हैं।