📿शनिवार को शनिदेव और हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि शनिदेव की कृपा पाने के लिए हनुमान जी की आराधना करना बेहद फलदायी होता है। साथ ही मार्गशीर्ष मास, काल भैरव का महीना माना गया है, जिसमें उनकी जयंती बेहद धूम-धाम और विधिवत अनुष्ठानों के साथ मनाई जाती है। इन्हीं महत्वों को ध्यान में रखते हुए इस शनिवार 108 काल भैरव अष्टकम, 23 हजार शनि मूल मंत्र, 1008 हनुमान अष्टक पाठ का आयोजन होने जा रहा है। हनुमान जी की आराधना से राहु और शनि दोष शांत हो सकते हैं और जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं। नवग्रह शनि मंदिर में होने जा रहा यह 21 ब्राह्मण अनुष्ठान मानसिक शांति, धन-समृद्धि और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करने में बेहद सहायक माना गया है।
सनातन परंपरा में मार्गशीर्ष मास का शनिवार काल भैरव उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन 108 बार काल भैरव अष्टकम का पाठ करने से भय, मानसिक अस्थिरता, नज़र-बाधा और अदृश्य शत्रुओं से रक्षा संभव है। काल भैरव अष्टकम भगवान शिव के उग्र और रक्षक स्वरूप की स्तुति है, जो मन में साहस, स्थिरता और आत्मविश्वास का अनुभव कराती है। वे लोग जो जीवन में अचानक आने वाली रुकावटों, डर, या कामों में असफलता का सामना कर रहे हों, उनके लिए यह पाठ अत्यंत लाभकारी हो सकता है।
वहीं, 🌺 23 हजार शनि मूल मंत्रों का जाप शनि दोष से राहत पाने और शनि ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को शांत करने के लिए बेहद प्रभावशाली माना गया है। 21 ब्राह्मणों द्वारा इसका विधिवत जाप मानसिक शांति, नौकरी, व्यापार और जीवन की परेशानियों को हल करने में मददगार माना गया है। 23 हजार मंत्रों का जाप करने से शनि के प्रतिकूल प्रभावों को दूर किया जा सकता है और व्यक्ति को जीवन में सफलता, समृद्धि और संतुलन की दिशा मिल सकती है। यह एक शक्तिशाली अनुष्ठान है, जो शनि की कृपा पाने का मजबूत मार्ग दिखाता है।
📿इस अनुष्ठान में 1008 हनुमान अष्टक पाठ, वीर बजरंगी की आराधना का अहम अंग है, क्योंकि यह मनुष्य को मानसिक शांति, बल, साहस और समृद्धि दे सकता है। यह 8 श्लोकों का संग्रह है, जिसे इस अनुष्ठान में शामिल करने से सभी मुश्किलें दूर हो सकती हैं और भक्तों को हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हनुमान अष्टक का पाठ खासतौर पर संकट, भय और मानसिक तनाव से उबारने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा हनुमान जी की शक्ति का अनुभव होता है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आने शुरू हो जाते हैं। यह पाठ शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से व्यक्ति को सशक्त बना सकता है।
🍃 एक ही सिद्ध मंदिर में 3 शक्तिशाली देवों की यह संयुक्त आराधना इसलिए भी अहम है, क्योंकि हनुमान जी ने शनिदेव को रावण के बंदीगृह से मुक्त कराया था। जब रावण ने शनिदेव को बंदी बना लिया था, तब हनुमान जी ने अपनी शक्ति और तेज से रावण के किले को ध्वस्त किया और शनिदेव को मुक्त किया। वहीं मार्गशीर्ष महीना काल भैरव को समर्पित माना गया है, इसलिए यह अनुष्ठान त्रि-शक्ति का आशीर्वाद पाने का दुर्लभ अवसर है।
आप भी इस विशेष पूजा में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लेकर श्री काल भैरव, हनुमान जी और शनिदेव का संयुक्त आशीर्वाद प्राप्त करें।