जानें आखिर कैसे हुई सूर्य देव की उत्पत्ति? 🌞🙏✨
हिंदू शास्त्रों एवं पचांग के अनुसार, प्रत्येक दिन किसी विशेष देवता के पूजन से संबंधित होता है। ठीक उसी प्रकार रविवार का दिन विशेष रूप से सूर्यदेव की पूजा के लिए समर्पित है। इस बार रविवार को सूर्य का नक्षत्र भी पड़ रहा है जो कि इस दिन को समान्य रविवार से और भी ज्यादा विशेष और शुभ बनाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्यदेव की उपासना से व्यक्ति को राजनीति और सरकारी नौकरियों में सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सूर्यदेव सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं, क्योंकि वे एकमात्र ऐसे देवता हैं जिन्हें हम प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं। मार्कंडेय पुराण के अनुसार, जब ब्रह्मांड अंधकार में डूबा हुआ था, तब ब्रह्मा जी के मुख से निकला पहला शब्द "ॐ" सूर्य के रूप में प्रकट हुआ। धार्मिक वेदों में सूर्यदेव को साहस, प्रसिद्धि, नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास और ऊर्जा का स्रोत बताया गया है। सूर्यदेव की पूजा से व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफलता पा सकता है। इसी कारण भक्त रविवार के दिन सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं, जिनमें सूर्य गायत्री मंत्र का जाप और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ का विशेष महत्व हैं।
आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ के संदर्भ में ऐसा माना जाता है कि इस पाठ का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है, जहां ऋषि अगस्त्य ने भगवान राम को रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए यह मंत्र दिया था। माना जाता है कि अगर श्रद्धा भाव से इस स्तोत्र का पाठ किया जाए, तो व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। यह भी मान्यता है कि यदि रविवार के दिन 51,000 सूर्य गायत्री मंत्र जाप और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया जाए, तो राजनीति और सरकारी नौकरियों में सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसी शुभ संयोग के अवसर पर श्री गलता जी सूर्य मंदिर में 51,000 सूर्य गायत्री मंत्र जाप और आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ का आयोजन किया जा रहा है। आप भी इस पूजा में भाग लेकर सूर्यदेव से राजनीति और सरकारी नौकरियों में सफलता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।