सनातन धर्म में मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित माना गया है, क्योंकि इस दिन के स्वामी मंगल ग्रह हैं, जो शक्ति, साहस और बाधाओं पर विजय के प्रतीक हैं। हनुमान जी इन्हीं गुणों के स्वामी हैं। मंगलवार और पूर्णिमा के संयोग में वीर बजरंगी की पूजा करने से जीवन की परेशानियाँ दूर हो सकती हैं और भक्तों को अटूट साहस, आत्मविश्वास और जीवन की चुनौतियों पर विजय की दिशा मिल सकती है। पूर्णिमा के दिन 21 ब्राह्मणों द्वारा हनुमान चालीसा, संकट मोचन हनुमान अष्टक का विधिवत पाठ करने से शत्रु बाधा, भय और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा की दिशा मजबूत होती है।
🚩 हनुमान जी को संकट मोचन क्यों माना जाता है?
लंका युद्ध में हनुमान जी का संकट मोचन स्वरूप उजागर हुआ, जब मेघनाद की शक्ति से लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए। भगवान राम व्याकुल हो उठे और पूरी वानर सेना भी असहाय नज़र आने लगी। ऐसे कठिन समय में हनुमान जी ने साहस दिखाया और संजीवनी बूटी लाने के लिए तुरंत द्रोणगिरि पर्वत की ओर उड़ चले। रावण ने उन्हें रोकने के लिए कालनेमि राक्षस को ब्राह्मण रूप में भेजा, जिसने छलपूर्वक मार्ग भटकाने की कोशिश की लेकिन हनुमान जी ने उसकी पहचान कर उसे मार गिराया। जब वे संजीवनी बूटी को पहचान न सके तो उन्होंने पूरा पर्वत ही उठा लिया और लक्ष्मण जी को जीवनदान दिलाया। इसीलिए वीर बजरंगी संकट मोचन हैं, जो हर विपत्ति को साहस और भक्ति से टालने की शक्ति रखते हैं।
🚩 यह पूजा आपको कठिनाइयों से निकालने में कैसे मदद कर सकती है?
🔸 1008 हनुमान चालीसा पाठ – गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित यह 40 छंदों वाला शक्तिशाली स्तोत्र हनुमान जी की कृपा पाने, नकारात्मकता दूर करने और मानसिक बल बढ़ाने में सहायक है।
🔸 हनुमान अष्टक पाठ – यह दिव्य स्तोत्र हनुमान जी की विजयगाथाओं का गुणगान करता है, भक्तों को हर समस्या से सुरक्षा दे सकता है और उन्हें अटूट साहस का एहसास करा सकता है।
इस मंगलवार, उज्जैन के मायापति हनुमान मंदिर में 1008 हनुमान चालीसा पाठ और संकट मोचन हनुमान अष्टक पाठ संपन्न किया जाएगा। ये सिद्ध तीर्थ इस अनुष्ठान को और ज्यादा फलदायी बना देता है।
श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में शामिल हों और हनुमान जी के आशीर्वाद से हर संकट पर विजय का आशीष पाएं!