हिंदू धर्म में श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। यह महीना भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। भगवान शिव को समर्पित कई मंत्र हैं, जिनमें से एक महामृत्युंजय मंत्र है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से अच्छी सेहत और समृद्धि मिलती है। इस मंत्र के समान ही गायत्री मंत्र भी है। ऐसा माना जाता है कि इन दोनों मंत्रों में से किसी एक का जाप करने से बड़ी से बड़ी मनोकामना भी पूरी हो सकती है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव ने इन दोनों मंत्रों को मिलाकर एक शक्तिशाली मंत्र बनाया जिसे "मृत संजीवनी मंत्र" के नाम से जाना जाता है। यह मंत्र बहुत शक्तिशाली है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस महान मृत संजीवनी मंत्र का ज्ञान सबसे पहले भगवान शिव ने दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य को उनकी घोर तपस्या के बाद वरदान के रूप में दिया था। मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करने से भक्त को अच्छे स्वास्थ्य और तेज दिमाग का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा, अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हनुमान पूजा भी अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी गई है।
शास्त्रों के अनुसार, भगवान हनुमान को भगवान शिव का 11वां रुद्र अवतार माना जाता है, इसलिए भगवान शिव को समर्पित इस विशेष माह में हनुमान जी की भी पूजा की जाती है। उज्जैन शहर में भगवान हनुमान को समर्पित एक मंदिर है जिसे मायापति हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में हनुमान जी की मायापति रूप में पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब हनुमान जी घायल लक्ष्मण को बचाने के लिए संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे, तो रास्ते में उनका सामना कालनेमि नामक राक्षस से हुआ। माया विद्या में निपुण कालनेमि ने अपनी माया से हनुमान जी को रोकने का प्रयास किया। हनुमान जी ने राक्षस की माया को समझकर उसे परास्त कर दिया। तभी से हनुमान जी को मायापति के नाम से जाना जाता है और मायापति हनुमान मंदिर में उन्हें इसी रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि श्रावण के पावन महीने में इस मंदिर में मृत संजीवनी मंत्र जाप, हनुमान बाहुक स्तोत्र पाठ और हवन करने से भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है। इसलिए इस मंदिर में इस पूजा का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान हनुमान और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें।