🛕गुप्त नवरात्रि अष्टमी पर ही शक्ति-समृद्धि 5 महाविद्या महायज्ञ अनुष्ठान क्यों? 🛕
हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार- माघ और आषाढ़ महीने में आता है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो साधक को शक्ति, साहस और आध्यात्मिक विकास प्रदान करती है। गुप्त नवरात्रि एक सार्वजनिक उत्सव न होकर साधना का गुप्त काल होता है, जिसमें तांत्रिक अनुष्ठान विशेष फलदायी होते हैं।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां बगलामुखी की पूजा की जाती है, जो स्तंभन शक्ति की देवी मानी जाती हैं। इस तिथि के विशेष काल में किए गए अनुष्ठानों से आराधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस काल में देवी की चेतना अत्यंत सक्रिय होती है, जिससे साधकों की मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं और उन्हें संकटों, मानसिक तनाव, शत्रु बाधाओं व आध्यात्मिक अवरोधों से मुक्ति मिलती है। यह पर्व केवल भक्ति का नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और साधना में सिद्धि का श्रेष्ठ अवसर है।
पांच महाविद्याओं की साधना के साथ-साथ उनसे जुड़ी दिव्य शक्ति और महत्व को भी जानना बेहद ज़रूरी है:
👉माँ काली समय, शक्ति और विनाश की देवी मानी जाती हैं, वे जीवन की कठिनाइयों को समाप्त करती हैं और अपने भक्तों को निडरता एवं नवचेतना का आशीर्वाद देती हैं।
👉 माँ तारा तांत्रिक साधना की प्रमुख देवी हैं, वे अपने भक्तों को मार्गदर्शन, करुणा और आत्मज्ञान प्रदान करती हैं, जिससे वे जीवन के कठिन समय को पार कर पाते हैं।
👉 माँ षोडशी, जिन्हें त्रिपुर सुंदरी भी कहा जाता है, सौंदर्य, संतुलन और दिव्यता का प्रतीक हैं। उनकी उपासना से जीवन में आकर्षण, संतुलन और आत्मिक पूर्णता आती है।
👉 माँ भुवनेश्वरी को सृजन और समृद्धि की देवी माना जाता है। वे अपने भक्तों को विकास, पोषण और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
👉 माँ बगलामुखी नियंत्रण, विजय और सुरक्षा की अधिष्ठात्री देवी हैं। वे अपने भक्तों को शत्रु बाधा, वाद-विवाद और हर प्रकार की विपत्ति से विजयी बनाकर रक्षा करती हैं।
आप भी श्री मंदिर के माध्यम से गुप्त नवरात्रि अष्टमी शक्ति-समृद्धि 5 महाविद्या अनुष्ठान में भाग लें और पांच महाविद्याओं से नकारात्मकता के नाश का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें 🙏😇