🛕गुप्त नवरात्रि अष्टमी पर 10 महाविद्याओं की आराधना से खुलते हैं किस्मत के बंद दरवाजे🛕
हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार—माघ और आषाढ़ मास में मनाया जाता है। यह कोई सार्वजनिक उत्सव नहीं, बल्कि एक आंतरिक साधना और तांत्रिक उपासना का विशेष काल माना जाता है। गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा के दस रहस्यमयी और शक्तिशाली रूपों, जिन्हें दस महाविद्या कहा जाता है, की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जब जीवन में एक के बाद एक परेशानियाँ आने लगती हैं और समाधान की हर कोशिश विफल हो जाती है, तो व्यक्ति मानसिक रूप से थकने लगता है और आत्मबल कमजोर पड़ने लगता है। असफलताओं और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव शरीर और मन दोनों पर दिखने लगता है। ऐसे समय में गुप्त नवरात्रि के दौरान की गई महाविद्या पूजा, विशेष संकल्प और तंत्रोक्त हवन, जीवन से इन सभी बाधाओं को दूर करने में बेहद सहायक सिद्ध होते हैं। यह साधना साहस, आत्मविश्वास और मानसिक शांति प्रदान करती है।
🔱 दस रहस्यमयी शक्तियों की साधना से बदल सकता है आपका भाग्य – जानिए गुप्त नवरात्रि की दस महाविद्याओं की शक्तियों का सार
गुप्त नवरात्रि में पूजित दस महाविद्याएं, देवी शक्ति के दस विशिष्ट रूप हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती हैं। माँ काली जीवन में परिवर्तन और नये आरंभ की शक्ति देती हैं, जबकि माँ तारा संकट के समय मार्गदर्शन और सुरक्षा प्रदान करती हैं। माँ त्रिपुरसुंदरी आत्मिक और शारीरिक सौंदर्य की अधिष्ठात्री हैं, वहीं माँ भुवनेश्वरी संपूर्ण सृष्टि की संचालनकर्ता मानी जाती हैं। माँ छिन्नमस्ता आत्मबल और त्याग की प्रतीक हैं, जो भ्रम और भय को समाप्त करती हैं। माँ त्रिपुरभैरवी साधक में साहस और दृढ़ता जाग्रत करती हैं, जबकि माँ धूमावती विपरीत परिस्थितियों में भी आत्मनिरीक्षण की प्रेरणा देती हैं। माँ बगलामुखी शत्रु बाधाओं को शांत करती हैं और स्थिरता देती हैं। माँ मातंगी रचनात्मकता, वाणी और कला की देवी हैं, और माँ कमला धन, सौभाग्य व समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इन दसों शक्तियों की साधना गुप्त नवरात्रि में विशेष फलदायी मानी जाती है।
श्री मंदिर के माध्यम से आप भी गुप्त नवरात्रि अष्टमी महाविद्या अनुष्ठान, 10 महाविद्या पूजा, संकल्प एवं तंत्रोक्त हवन में भाग लें और मानसिक व शारीरिक शक्ति का दिव्य आशीर्वाद पाएं।