इस अमावस्या पर एक अत्यंत शक्तिशाली बगलामुखी प्रत्यंगिरा महाविद्या अग्नि कवच अनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है। इस अनुष्ठान का उद्देश्य है नकारात्मक ऊर्जा, छिपे हुए शत्रुओं और किसी भी प्रकार के हानिकारक प्रभावों से दिव्य सुरक्षा प्राप्त करना। अमावस्या, जब आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता, सनातन धर्म में बहुत पवित्र मानी जाती है। यह वह रात है जब अंधकार समाप्त होता है और दिव्य ऊर्जा सक्रिय होने लगती है। ऐसा माना जाता है कि अमावस्या की रात ब्रह्मांड की सूक्ष्म ऊर्जाएँ सबसे अधिक जागृत होती हैं, इसलिए यह समय तांत्रिक साधनाओं, सुरक्षा के अनुष्ठानों और उन देवियों की उपासना के लिए श्रेष्ठ होता है जो नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं। इन्हीं देवियों में माँ बगलामुखी और माँ प्रत्यंगिरा का स्थान सबसे विशेष है, क्योंकि दोनों ही शत्रुओं और अदृश्य बाधाओं से रक्षा करने वाली देवियाँ मानी जाती हैं।
शास्त्रों के अनुसार माँ बगलामुखी वह शक्ति हैं जो शत्रु की वाणी और कर्म को रोक देती हैं। उनके आशीर्वाद से विवाद शांत होते हैं, मुकदमों में सफलता मिलती है और विरोध करने वाली शक्तियाँ स्वतः निष्क्रिय हो जाती हैं। वहीं माँ प्रत्यंगिरा को भगवान नरसिंह और माँ काली की शक्ति का संयुक्त स्वरूप कहा गया है। वे नकारात्मक ऊर्जा, काले प्रभाव, मानसिक भय और अदृश्य भारीपन को समाप्त करती हैं। जब अमावस्या की रात इन दोनों देवियों का अनुष्ठान किया जाता है, तब उनकी संयुक्त शक्ति भक्त के आसपास एक अदृश्य सुरक्षा कवच बना देती है, जो जीवन में आत्मविश्वास, संतुलन और आंतरिक शांति लाता है।
इसी दिव्य शक्ति को जागृत करने के लिए सिद्धपीठ माँ बगलामुखी मंदिर, हरिद्वार में यह भव्य अनुष्ठान संपन्न किया जा रहा है। इस अनुष्ठान में सौ किलो लाल मिर्च का अग्नि हवन किया जाएगा। लाल मिर्च अग्नि हवन का अर्थ है कि ईर्ष्या, नकारात्मकता और हानिकारक प्रभाव अग्नि में जलकर नष्ट हो जाते हैं। साथ ही आचार्यों द्वारा एक लाख पच्चीस हजार माँ बगलामुखी मूल मंत्रों का जप किया जाएगा, जिससे भक्तों के चारों ओर शक्ति से भरा एक अभेद्य सुरक्षा कवच स्थापित होता है। इसके साथ बगलामुखी प्रत्यंगिरा कवच अनुष्ठान भी किया जाएगा, जिसमें ऊर्जा संतुलन और पूर्ण सुरक्षा के लिए विशेष विधि संपन्न की जाती है।
ऐसा विश्वास है कि इस अमावस्या महायज्ञ में भाग लेने वाले भक्तों को माँ बगलामुखी और माँ प्रत्यंगिरा की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है। इस आशीर्वाद से भय दूर होता है, शत्रुओं की शक्ति निष्क्रिय होती है, मन को शांति मिलती है और जीवन से छिपी हुई नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है।
आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पवित्र अनुष्ठान में शामिल हो सकते हैं। 🙏