🛕 नवरात्रि की दुर्गाष्टमी पर नकारात्मक ऊर्जा, अदृश्य बाधाओं और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए होने जा रहा है बगलामुखी-प्रत्यांगिरा महाविद्या अग्नि कवच अनुष्ठान ✨🔥
शारदीय नवरात्रि का पर्व पूरे भारत में आस्था और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह नौ दिनों तक चलने वाला उत्सव अच्छाई की बुराई पर विजय की स्मृति है। कथा है कि जब राक्षस महिषासुर ने तीनों लोकों में अराजकता फैला दी और अदृश्य शक्तियाँ भी साधकों को परेशान करने लगीं, तब देवताओं ने माँ आदिशक्ति का आह्वान किया। इस आह्वान के फलस्वरुप माँ दुर्गा ने लगातार नौ दिन और रात युद्ध किया और दसवें दिन महिषासुर का वध कर धर्म और सत्य की रक्षा की। तभी से नवरात्रि के ये नौ दिन देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा के लिए विशेष माने जाते हैं। कहा जाता है कि नवरात्रि के इन पावन दिनों में साधक प्रत्येक दिन देवी के अलग-अलग स्वरूपों की आराधना से विशिष्ट शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करता है।
यह समय केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि साधक के भीतर नई ऊर्जा जगाने, भय और नकारात्मकता को दूर करने तथा जीवन में सकारात्मकता बढ़ाने का दिव्य अवसर माना जाता है। इन दिनों में देवी के रौद्र और शक्तिशाली स्वरूपों की साधना का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इन्हीं में से दुर्गाष्टमी, जिसे दुर्गाष्टमी कहा जाता है, विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण मानी गई है। माना जाता है कि दुर्गाष्टमी के दिन बगलामुखी–प्रत्यांगिरा महाविद्या अनुष्ठान करने से साधक पर अदृश्य शत्रुओं, नकारात्मक शक्तियों और सभी कुप्रभावों से दैवीय कवच बनता है। सनातन परंपरा में ऐसा कहा गया है कि माँ बगलामुखी की साधना से शत्रु शांत होते हैं, कानूनी उलझनें सरल होती हैं और जीवन की रुकावटें घट सकती हैं। वहीं माँ प्रत्यंगिरा की आराधना को घर और मन से नकारात्मकता दूर करने वाला माना गया है। मान्यता है कि उनकी कृपा से नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और अदृश्य संकटों से रक्षा मिल सकती है।
इसी अद्वितीय कृपा के आह्वान के लिए हरिद्वार स्थित सिद्धपीठ माँ बगलामुखी मंदिर में एक विशेष महाअनुष्ठान का आयोजन हो रहा है, जिसमें 100 किलो लाल मिर्च अग्नि हवन किया जाएगा, जहाँ देवी बगलामुखी और देवी प्रत्यंगिरा के मंत्रों के साथ मिर्च की आहुति दी जाएगी, जो अदृश्य शत्रुओं, नकारात्मक शक्तियों और कुप्रभावों के दहन का प्रतीक है। साथ ही, आचार्यों द्वारा संकल्पपूर्वक 1,25,000 बगलामुखी मूल मंत्रों का जप किया जाएगा, जो साधक के चारों ओर अखंड और अजेय दिव्य कवच का निर्माण करता है और नकारात्मक ऊर्जा, ईर्ष्या, दृष्टिदोष तथा अदृश्य शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है। इस महायज्ञ के दौरान बगलामुखी-प्रत्यांगिरा कवच अनुष्ठान भी सम्पन्न होंगे, और ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस विशेष महाविद्या अग्नि–कवच अनुष्ठान में भाग लेने वाले भक्तों को साहस, मानसिक स्पष्टता, अदृश्य शत्रुओं से सुरक्षा और जीवन की नकारात्मक बाधाओं से राहत का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।