🪔 क्या कभी ऐसा महसूस हुआ है कि आप पूरी मेहनत करने के बाद भी वहीं के वहीं अटके हुए हैं और चारों ओर नकारात्मकता महसूस होती है? इसका कारण अक्सर बुरी नज़र होती है, जिसे साल की पहली कालाष्टमी पर मां बगलामुखी और मां प्रत्यंगिरा की कृपा से शांत किया जा सकता है। 2026 की पहली कालाष्टमी सनातन धर्म में अत्यंत शक्तिशाली तिथि मानी गई है। यह भगवान काल भैरव और देवी की रक्षक शक्तियों को समर्पित होती है। माना जाता है कि इस तिथि पर सूक्ष्म ऊर्जाएँ बहुत सक्रिय होती हैं, इसलिए यह साधना, सुरक्षा अनुष्ठान और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाली देवियों की उपासना के लिए सबसे उपयुक्त समय है। मां बगलामुखी और मां प्रत्यंगिरा छिपी नकारात्मकता, भय और शत्रु बाधाओं को नष्ट करने वाली प्रमुख देवियाँ मानी जाती हैं।
मां बगलामुखी शत्रुओं के गलत वचनों, योजनाओं और कर्मों को रोककर संघर्ष की स्थितियों पर नियंत्रण दिलाती हैं। मां प्रत्यंगिरा नरसिंह और काली शक्ति का रूप हैं, जो काला जादू, नज़रदोष, मानसिक आक्रमण और अदृश्य बाधाओं से रक्षा करती हैं। साल की पहली कालाष्टमी पर दोनों की संयुक्त उपासना अत्यंत शक्तिशाली रक्षा कवच बनाती है और जीवन में शांति, साहस और स्थिरता लाती है।
🪔 इन दिव्य आशीर्वादों के लिए, हरिद्वार के सिद्धपीठ माँ बगलामुखी मंदिर में एक भव्य बगलामुखी-प्रत्यंगिरा महा अनुष्ठान किया जा रहा है। इस अनुष्ठान में 100 किलो लाल मिर्च का अग्नि हवन शामिल है, जो छिपी हुई नकारात्मकता, जलन और विरोधी ऊर्जाओं को जलाने का प्रतीक है। इसके साथ ही, आचार्य 1,25,000 माँ बगलामुखी मूल मंत्रों का जाप करेंगे, जिससे भक्तों के चारों ओर एक मज़बूत सुरक्षा कवच बनेगा। बगलामुखी-प्रत्यंगिरा कवच अनुष्ठान भी किया जाएगा, जो ऊर्जा संतुलन और सुरक्षा को और मज़बूत करेगा। क्योंकि ऐसी सुरक्षा अक्सर पूरे परिवार के लिए मांगी जाती है, इसलिए आप यह महापूजा अपने परिवार के साथ भी चुन सकते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस महायज्ञ में शामिल होने वाले भक्त भयमुक्ति, संकटों पर विजय, मानसिक शांति और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा जैसे दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस कालाष्टी पर आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पावन अनुष्ठान का हिस्सा बनकर अपनी ऊर्जा को नज़रदोष और नकारात्मकता से मुक्त कर सकते हैं। 🙏