दुर्गा अष्टमी को एक पवित्र दिन माना जाता है, जब देवी दुर्गा की ऊर्जा सबसे ज़्यादा जागृत और कल्याणकारी होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन की गई साधना से शक्ति, स्थिरता और मानसिक स्पष्टता मिलती है। 2025 की आखिरी दुर्गा अष्टमी को खास तौर पर महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह साल के आध्यात्मिक प्रयासों को पूरा करती है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन पूजा करने से जमा हुई नकारात्मकता दूर होती है और आगे का रास्ता सुरक्षित बनता है। चूंकि पूरे परिवार के लिए ऐसी दिव्य सुरक्षा और शक्ति मांगी जाती है, इसलिए इस 10 महाविद्या पूजा में भक्त अपने प्रियजनों को शामिल करने के लिए परिवार के साथ इसमें भाग ले सकते हैं।
इस दिव्य तिथि के दिन महाविद्याओं की आराधना अत्यंत फलदायी मानी जाती है। पौराणिक कथानुसार भगवान शिव किसी कारणवश देवी पार्वती की बात मानने को तैयार नहीं हुए, तब देवी ने अपने भीतर की अत्यंत गूढ़ और शक्तिशाली ऊर्जाओं को प्रकट किया, जिन्हें दस महाविद्या कहा जाता है। इस प्राकट्य का अर्थ था यह दिखाना कि देवी शक्ति के असंख्य स्वरूपों की धनी हैं और प्रत्येक रूप संसार की किसी विशेष समस्या, भय या बाधा को दूर करने के लिए उत्पन्न हुआ है। इसी कारण अंतिम दुर्गाष्टमी जैसे शक्तिशाली दिन पर दस महाविद्याओं की संयुक्त उपासना को अत्यंत फलदायी समझा जाता है।
दस महाविद्याओं का परिचय इस प्रकार है:
⭐ काली – जीवन की नकारात्मक शक्तियों, भय और बाधाओं का विनाश करने वाली शक्ति।
⭐ तारा – ज्ञान, सुरक्षा और आंतरिक मार्गदर्शन प्रदान करने वाली ऊर्जा।
⭐त्रिपुरसुंदरी – सौंदर्य, संतुलन और आकर्षण की शक्ति।
⭐ भुवनेश्वरी – सृष्टि, विस्तार और स्थिरता की अधिष्ठात्री।
⭐ छिन्नमस्ता – त्याग, आत्मबल और ऊर्जा पुनर्जागरण का प्रतीक।
⭐ भैरवी – साहस, परिवर्तन और आंतरिक शक्ति जागृत करने वाली।
⭐ धूमावती – विपरीत परिस्थितियों से अनुभव और गहन समझ प्रदान करने वाली।
⭐ बगलामुखी – शत्रुदोष और बाधाओं को रोकने तथा विजय दिलाने वाली शक्ति।
⭐ मातंगी – वाणी, कला और रचनात्मकता की देवी।
⭐ कमला – धन, सौभाग्य, समृद्धि और जीवन में शुभ फल प्रदान करने वाली।
इन सभी दस महाविद्याओं को समर्पित अनुष्ठान कालीघाट शक्तिपीठ में किया जा रहा है। 51 शक्तिपीठों में से एक कालीघाट शक्तिपीठ वह स्थल है जहां देवी सती के दाहिने पैर की उंगली गिरी थी, जब भगवान शिव उनके शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे। यही कारण है कि यह स्थान अत्यंत सिद्ध और जागृत माना जाता है। श्री मंदिर के माध्यम से इसी दिव्य स्थल पर आयोजित अनुष्ठान में भाग लें और अपने जीवन में सुरक्षा, स्पष्टता और ऊर्जा का संतुलन अनुभव करें।