संकष्टी चतुर्थी का दिन भगवान गणेश के लिए अत्यंत विशेष माना जाता है। इस दिन किए गए व्रत और पूजा को बहुत शुभ माना गया है क्योंकि इसे मनाने से जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। कहा जाता है कि संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की विशेष आराधना करने से ऋण, कर्ज़ और अन्य वित्तीय परेशानियों में राहत मिलती है और नकारात्मक शक्तियों पर विजय पाने में मदद मिलती है। हमारे जीवन में भी अक्सर कई तरह की परेशानियाँ और बाधाएँ हमें घेर लेती हैं। कभी-कभी यह समझ पाना मुश्किल हो जाता है कि ये परेशानियाँ क्यों आ रही हैं, जिससे मन भारी हो जाता है और तनाव बढ़ जाता है। 
ऐसी स्थिति में भगवान गणेश को वह शक्ति माना गया है जो अपने भक्तों को संकटों और विघ्नों से उबारते हैं। पुराणों में बताया गया है कि भगवान गणेश आठ स्वरूपों में पूजित हैं वक्रतुंड, एकदंत, महोदर, गजानन, लंबोदर, विकट, विघ्नराज और धूम्रवर्ण। इनमें से ‘विघ्नराज’ स्वरूप विशेष रूप से जीवन की बाधाओं से छुटकारा पाने, नकारात्मकता से रक्षा करने और जीवन को सहज बनाने के लिए पूजित होता है। भक्तों के श्रद्धा और भक्ति से गणेश जी अपने इस स्वरूप में उनके संकटों और परेशानियों को हल्का कर देते हैं।
इस पावन अवसर पर उज्जैन के श्री चिंतामण गणेश मंदिर में विशेष अनुष्ठान “ऋण मुक्ति श्री महा-गणपति पाशुपत यज्ञ एवं मोदक अर्पण” का आयोजन किया जा रहा है। इस अनुष्ठान के माध्यम से भक्त अपने जीवन की बाधाओं, ऋण और कर्ज़ से मुक्ति पाने की कामना कर सकते हैं। यज्ञ और मोदक अर्पण के जरिए भक्तों को विघ्नहर्ता गणेश जी की कृपा का अनुभव प्राप्त होता है और जीवन में संतुलन, मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति का अनुभव होता है।
श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य अनुष्ठान में सहभागी बनकर भक्त अपने जीवन में नकारात्मक प्रभावों से राहत पा सकते हैं और ऋण, बाधा और अन्य कठिनाइयों से मुक्ति का अनुभव कर सकते हैं। 🙏