🛕 वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि देव, अनुशासन, कर्म और जीवन के पाठों का प्रतीक हैं। यदि कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर, प्रभावित या कठिन घरों में हो, तो इससे जीवन में देरी, बाधाएँ, आर्थिक कठिनाइयाँ, स्वास्थ्य समस्याएँ और मानसिक परेशानी पैदा हो सकती है। ये सभी चुनौतियाँ कर्म के अनुभव हैं, जो समय के साथ धैर्य, सहनशीलता और मानसिक मजबूती विकसित करने के लिए दी जाती हैं। इनके प्रभाव अक्सर करियर में रुकावटें, रिश्तों में तनाव या अकेलेपन और भय की भावना के रूप में दिखाई देते हैं। हनुमान जी की उपासना शनि के अशुभ प्रभावों को शांत करने का एक शक्तिशाली उपाय माना जाता है।
वीर हनुमान को अपार शक्ति, अटूट भक्ति और संकटमोचन स्वरूप के लिए पूजा जाता है। उन्हें कलियुग का चिरंजीवी देवता माना गया है, जो सच्चे मन से की गई प्रार्थना सुनने में देर नहीं करते। शनिवार का दिन उनकी आराधना के लिए बेहद शुभ माना गया है। वहीं, शनिदेव को कर्म के अनुसार फल देने वाला देवता माना जाता है, जो इंसान को उसकी कड़ी मेहनत के हिसाब से फल देते हैं। हालांकि, शनिदेव का दिन शनिवार है लेकिन शनिवार को उनकी पूजा हनुमान जी के साथ करने से अनेकों अनुष्ठानों का फल प्राप्त हो सकता है। इस शनिवार इन दोनों देवताओं के पुण्य स्थान हनुमान गढ़ी और हथला शनि देव मंदिर में 11 हजार मूल मंत्र जाप और अभिषेक का आयोजन होने जा रहा है, जो बाधाओं को दूर कर जीवन को आसान बनाने की शक्ति दे सकता है।
🪐जब हनुमान जी ने रावण के चंगुल से कराया था शनिदेव को मुक्त, मिला था ये विशेष आशीर्वाद
पुराणों की एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, लंकायुद्ध के दौरान हनुमान जी ने रावण के बंदीगृह से शनिदेव को मुक्त किया था। इस महान कृपा के बाद शनिदेव ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि जो भी भक्त हनुमान जी की भक्ति करेंगे, उन पर शनि के बुरे प्रभाव नहीं पड़ेंगे। यही कारण है कि शनि पीड़ित व्यक्तियों को हनुमान जी की आराधना से जीवन में बदलाव देखने को मिलता है।
🛕 आखिर क्यों हनुमान जी को सिंदूर और शनिदेव को चढ़ाते हैं तिल और तेल?
लोककथा के अनुसार, हनुमान जी ने एक बार मां सीता को सिंदूर लगाते देखा और कारण पूछने पर पता चला कि ऐसा वह भगवान राम की लंबी उम्र और सुख-शांति के लिए करती हैं। यह सुनकर हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया, ताकि श्री राम उनसे ज्यादा खुश हो जाएं। तभी से उन्हें सिंदूर अर्पण की परंपरा है। साथ ही मान्यता है कि शनिदेव को तिल तेल अभिषेक करने से उनका क्रोध शांत होता है और इस अनुष्ठान से आराधक के जीवन में आ रहीं अड़चनें दूर होनी शुरू हो जाती हैं।
श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लेकर भगवान हनुमान और शनिदेव की संयुक्त कृपा प्राप्त करें और जीवन की अड़चनों से निपटने की दिशा में तेजी से बढ़ें।