आज के समय में तनाव, अकेलापन और मानसिक थकान लगभग सभी के जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। इस स्थिति से मन कमजोर होने लगता है और अंदर भय, दुःख और अस्थिरता की भावना पैदा होती है। ऐसे समय में हमें माँ दुर्गा की दिव्य शक्ति और उनकी संरक्षणमयी कृपा की आवश्यकता होती है। सनातन में मार्गशीर्ष मास को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि यह मास जीवन में नई ऊर्जा, स्वास्थ्य, मानसिक शांति- उत्साह लाने में सहायक माना गया है। इस माह और शुक्रवार के शुभ संयोग में दस महाविद्याओं में से माँ तारा, माँ काली, माँ त्रिपुर सुंदरी और माँ भैरवी की तंत्र विधि से विशेष यज्ञ साधना का आयोजन किया जा रहा है।
यह साधना अत्यंत दुर्लभ और शक्तिशाली मानी जाती है। चार महाविद्याओं की संयुक्त उपासना से साधक को दिव्य ऊर्जा, आंतरिक शक्ति और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार, इस यज्ञ में मंत्र-जप, नव-द्रव्य हवन, पुष्प अर्पण और देवी आवाहन की विधियाँ शामिल होती हैं। ये विधियाँ जीवन की बाधाओं को शांत करती हैं और साहस, आत्मविश्वास तथा सही निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाती हैं। श्रद्धा से इस महायज्ञ में भाग लेने वाले भक्तों को स्थिरता, समृद्धि और माँ की कृपा प्राप्त हो सकती है।
🌸 महाविद्याओं का स्वरूप और उनके आशीर्वाद:
🔹 माँ तारा – कठिन संकटों और विपत्तियों से रक्षा करने वालीं करुणामयी मार्गदर्शक
🔹 माँ काली – अहंकार और भय का नाश कर साहस और सुरक्षा प्रदान करने वालीं शक्ति
🔹 माँ त्रिपुर सुंदरी – मन, बुद्धि और जीवन में सौंदर्य, शांति और स्पष्टता लाने वाली देवी
🔹 माँ भैरवी – नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं को दूर कर अडिग शक्ति देने वाली मां
यह विशेष महायज्ञ भारत के 3 महत्वपूर्ण शक्तिपीठों पर संपन्न होगा:
🔸 तारापीठ – जहाँ माँ सती की नेत्र शक्ति विराजमान है।
🔸 कालीघाट – जहाँ माँ का दायाँ अंगूठा गिरा था, यहाँ माँ काली और माँ भैरवी की पूजा होगी।
🔸 ललिता देवी मंदिर (काशी) – जहाँ माँ सती की उंगली गिरी थी, यहाँ माँ त्रिपुर सुंदरी की साधना होगी।
🧿 श्री मंदिर द्वारा आयोजित यह दिव्य महायज्ञ साधकों को मानसिक शांति, आंतरिक शक्ति और महाविद्याओं की कृपा प्राप्त करने का पवित्र अवसर है। 🙏✨