श्री खाटू श्याम जी को कलियुग के करुणा अवतार के रूप में जाना जाता है। महाभारत के वीर बर्बरीक ही आगे चलकर खाटू श्याम बाबा के रूप में पूजे गए। वे भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। कहा जाता है कि जो जीवन में हार मान चुका हो, जब सभी रास्ते बंद लगें तब बाबा श्याम ही ‘हारे का सहारा’ बनते हैं। अगर आपने बार-बार मेहनत की, व्यापार में बहुत प्रयास किए, लेकिन तरक्की नहीं मिल पा रही तो यह आराधना आपके लिए एक नया आरंभ साबित हो सकती है। हरियाणा के चुलकाना धाम में होने जा रहे इस विशेष अनुष्ठान में 11,000 खाटू श्याम ध्यान मंत्र जाप, खाटू श्याम अष्टक पाठ और आरती के माध्यम से बाबा श्याम की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
इस बार यह पूजन गुरुवार को हो रहा है, जो भगवान विष्णु का पवित्र दिन माना जाता है। यही कारण है कि इस दिन बाबा श्याम की पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण ने ही बर्बरीक को अपना प्रिय नाम ‘श्याम’ देकर आशीर्वाद दिया था।
🌺 श्री खाटू श्याम जी की कथा
महाभारत के समय बर्बरीक के पास तीन अमोघ बाण थे और उन्होंने प्रतिज्ञा ली थी कि वे हमेशा कमजोर पक्ष का साथ देंगे। भगवान श्रीकृष्ण ने यह जानकर साधु का रूप धारण किया और उनसे मिलने पहुँचे। जब उन्हें बर्बरीक का संकल्प पता चला, तो उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए उनसे शीश दान मांगा। बर्बरीक ने बिना संकोच हंसते हुए अपना शीश अर्पित कर दिया। उनके इस महान बलिदान से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में वे उनके नाम ‘श्याम’ से पूजे जाएंगे, और हर हार चुके व्यक्ति के सहारा बनेंगे।
🌙 खाटू श्याम ध्यान मंत्र और अष्टक का महत्व
खाटू श्याम अष्टक में बाबा श्याम की महिमा, करुणा और शक्ति का अद्भुत वर्णन मिलता है। जो भक्त जीवन की दिशा खो चुके हैं, धन रुका हुआ है या परिवार-व्यवसाय में बाधाएँ हैं उन्हें इस अष्टक पाठ और 11,000 ध्यान मंत्र जाप से सही मार्ग और ऊर्जा मिलती है। मारवाड़ी और व्यापारी समाज में तो यह मान्यता है कि बाबा श्याम हर हारे हुए इंसान के सहारा बनते हैं और उन्हें फिर से सफलता के मार्ग पर ले जाते हैं।
आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और बाबा श्याम के आशीर्वाद से व्यापार, नौकरी और जीवन में समृद्धि और सुरक्षा का अनुभव करें।