🪔 जब कुंडली में शनि और चंद्रमा एक साथ होते हैं तो इसे शनि-चंद्रमा संयोग माना जाता है, जो ‘विष योग’ का कारण बन सकता है। इस संयोग से मानसिक तनाव, निराशा, परिवारिक समस्याएं और शारीरिक कष्ट बढ़ सकते हैं, जिसके निवारण के लिए विशेष पूजा और उपाय किए जाते हैं। ज्योतिष में इसे ‘विश योग’ और ‘शनि-चंद्र दोष’ नाम से भी जाना जाता है। चंद्रमा, मन, भावनाओं और मानसिक स्थिति का कारक माना गया है, जबकि शनिदेव, कर्मों के अनुसार फल देने वाले देवता हैं। जब ये दोनों ग्रह एक साथ आते हैं तो व्यक्ति को मानसिक दबाव, चिंता, भावनात्मक अस्थिरता या जीवन में संघर्ष बढ़ जाता है। इस दोष के प्रभाव से राहत के लिए शनि त्रयोदशी-चंद्र युति पूजा होने जा रही है, जिसमें भाग लेकर जीवन के संघर्षों को सफलता में बदला जा सकता है।
🪔 शनि मूल मंत्र का 23,000 बार जाप बेहद प्रभावशाली साधना मानी गई है। शास्त्रों के अनुसार, यह संख्या शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए विशेष सिद्धि की तरह है। इस जाप से जीवन में शनि से जुड़े कष्ट, जैसे नौकरी में बाधा, आर्थिक तंगी, कोर्ट-कचहरी मामले, विवाह में देरी या स्वास्थ्य समस्याए धीरे-धीरे शांत होने लगती हैं। साथ ही, यह साधना मानसिक शांति, धैर्य और स्थिरता की दिशा भी दिखाती है। विधि-विधान से किया गया 23,000 शनि मूल मंत्र जाप व्यक्ति के जीवन से अशुभ ग्रह प्रभावों को दूर कर, सफलता और प्रगति के नए रास्ते बना सकता है।
🪔 शनि-चंद्र युति से राहत के लिए 10,000 चंद्र मूल मंत्र जाप और यज्ञ चंद्र देव की कृपा प्राप्त करने का विशेष साधन है। चंद्रमा मन, भावनाओं, शांति और पारिवारिक सुख का प्रतीक है। जब जीवन में मानसिक अशांति, अनिद्रा, भय, अस्थिरता या संबंधों में तनाव बढ़ता है, तब यह अनुष्ठान बेहद फलदायी माना जाता है। 10,000 बार चंद्र मंत्र-जाप से मन को स्थिरता, भावनात्मक संतुलन और शांति की सही दिशा मिलती है।
🪔 शनि त्रयोदशी पर जब चंद्रमा की युति होती है, तब यह विशेष योग बनता है, जिसका ज्योतिष में गहरा महत्व है। शनि कर्म, बाधाओं और न्याय के देवता हैं, जबकि चंद्रमा मन, भावनाओं और मानसिक शांति तय करते हैं। इस दिन शनि-चंद्र युति अनुष्ठान से मन की अशांति, भय, मानसिक तनाव और एक के बाद एक आ रहीं रुकावटों से राहत मिलती है। इस विशेष त्रयोदशी पूजा में शनि-चंद्र मूल मंत्र जाप, विधिवत अभिषेक, चंद्रमा को अर्घ्य का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दुर्लभ अनुष्ठान से शनि और चंद्र दोष की शांति होती है और भक्तों को स्थिरता, समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और मानसिक संतुलन की दिशा मजबूत होती है।
🛕 श्री मंदिर द्वारा 23,000 शनि मूल मंत्र जाप, 10,000 चंद्र मूल मंत्र जाप और यज्ञ में भाग लें और जीवन में कठिनाइयों से राहत और मन की स्पष्टता का आशीष पाएं।