🌕 पूर्णिमा का दिन आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। खासकर जब यह साल की आखिरी पूर्णिमा हो, तब इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। यह दिन भक्तों के लिए अपने जीवन में स्थिरता, सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति का अनुभव करने का दुर्लभ अवसर लेकर आता है। ऐसे समय में साधक अपने जीवन की उलझनों और नकारात्मक प्रभावों से दूर होकर आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव कर सकते हैं।
🌸 इस दिव्य अवसर पर श्री मंदिर 5 देवी, 5 शक्तिपीठ महाशक्ति महायज्ञ और 1,25,000 नवार्ण मंत्र जाप का आयोजन कर रहा है। इस अनुष्ठान की मदद से भक्त माँ दुर्गा के स्वरूपों और माँ महालक्ष्मी के चरणों में अपनी परेशानियों को अर्पित कर सकते हैं और देवी के दिव्य आशीर्वाद से अपने जीवन की बाधाओं का समाधान पा सकते हैं।
🔥 इस अनुष्ठान में शामिल देवीय रूप हैं माँ ललिता, माँ काली, माँ विंध्यवासिनी, माँ कात्यायनी, माँ उमा और माँ महालक्ष्मी, माँ दुर्गा के ये स्वरूप आंतरिक शक्ति, साहस और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं, जबकि माँ महालक्ष्मी जीवन में समृद्धि, सुरक्षा और ऊर्जा का अनुभव कराती हैं। इनके आह्वान और पूजा से साधक मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन का अनुभव कर सकते हैं।
🕉️ इस पूजा के प्रभाव को अधिक गहरा और व्यापक बनाने के लिए इसे केवल एक स्थान पर नहीं, बल्कि 5 शक्तिपीठों में आयोजित किया जा रहा है। जिसके माध्यम से साधक इस अनुष्ठान की दिव्य ऊर्जा को पांच गुना अधिक अनुभव कर सकते हैं। 5 शक्तिपीठ हैं कालीघाट (कोलकाता), माँ ललिता देवी (प्रयागराज), माँ विंध्यवासिनी (मिर्जापुर), माँ कात्यायनी (वृंदावन), और शक्तिपीठ महालक्ष्मी अंबाबाई (कोल्हापुर)। इन पवित्र स्थलों से जुड़े होने के कारण अनुष्ठान की ऊर्जा और आध्यात्मिक प्रभाव अत्यधिक माना जाता है।
💫 इस अनुष्ठान की मदद से भक्त अपनी भक्ति मां के श्री चरणों में अर्पित कर सकते हैं और 5 शक्तिपीठों की शक्तिशाली, दिव्य और सकारात्मक ऊर्जा को अपने जीवन में महसूस कर सकते हैं, तो देर न करें आज ही भाग लें।