कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा की रात्रि का निशीथ काल ऐसा समय माना जाता है जब साधना और मंत्र जाप का प्रभाव अत्यंत प्रबल होता है। यह समय मन, घर और कर्म को शुद्ध करने के लिए विशेष माना गया है। इस अवसर पर माँ बगलामुखी की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। उन्हें शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों को शांत करने वाली देवी माना गया है। उनका आह्वान करने से जीवन में स्थिरता, साहस और ऊर्जा का संचार होता है।
माँ की इस शक्ति एवं कृपा के आह्वान के लिए श्री मंदिर, उज्जैन की ओर से इस कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि में बगलामुखी रक्षा कवच पाठ, 1,25,000 बगलामुखी मूल मंत्र जाप और विशेष हवन अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। यह अनुष्ठान केवल पूजा का अवसर नहीं है, बल्कि जीवन में आने वाली नकारात्मक ऊर्जाओं, भय और मानसिक दबाव से राहत पाने का एक साधन माना जाता है। मंत्रों और हवन के माध्यम से ऊर्जा का एक दिव्य चक्र बनता है, जो मन और घर को बाहरी और आंतरिक हानियों से सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है।
माँ बगलामुखी की पूजा को उन लोगों के लिए विशेष रूप से प्रभावशाली माना जाता है जो अपने जीवन में छुपे हुए संघर्ष, विरोध और मानसिक दबाव का सामना कर रहे हैं। उनका जाप और हवन जीवन में स्पष्टता लाने, मन को स्थिर करने और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने में सहायक माने जाते हैं। इसके अलावा यह अनुष्ठान जीवन के कर्मों से जुड़े अवरोधों को भी संतुलित करने में सहायता करता है। इस रात्रि किया गया कवच पाठ और हवन न केवल मानसिक सुरक्षा प्रदान कर सकता है, बल्कि जीवन में साहस और आत्मबल को भी बढ़ाता है। यह एक प्रकार का आध्यात्मिक कवच तैयार करता है, जो किसी भी दिशा से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को रोकने में मदद करता है।
यह समय अत्यंत शुभ और अनुकूल माना जाता है, क्योंकि निशीथ काल में की गई साधना और मंत्र जाप का प्रभाव गहरा और दीर्घकालिक माना जाता है। इस कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि में आप श्री मंदिर, उज्जैन के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लेकर माँ बगलामुखी की शक्ति से जुड़ सकते हैं। यह अवसर जीवन को अधिक संतुलित, सुरक्षित और शांत बनाने का साधन हो सकता है, और भीतर की ऊर्जा को जाग्रत करने में मदद कर सकता है।