🌕 देव दिवाली काशी का सबसे भव्य और पवित्र पर्व माना जाता है। यह दिन तब मनाया जाता है जब कार्तिक पूर्णिमा की रात को पूरा काशी लोक गंगा जी के तट पर दीपों की रौशनी से जगमगाने लगता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन स्वयं देवता गंगा जी के घाटों पर उतरकर दीप जलाते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं। यह क्षण “निशित काल के शुभ मुहूर्त” में आता है, जब पृथ्वी और आकाश के बीच की ऊर्जा सबसे अधिक पवित्र और शक्तिशाली मानी जाती है। इसी समय माँ गंगा की विशेष पूजा करने से मन, तन और आत्मा की गहरी शुद्धि होती है।
✨ यदि आप भी इस दिव्य उत्सव के भागी बनना चाहते हैं, पर किसी कारणवश काशी नहीं जा पा रहे हैं, तो श्री मंदिर आपके लिए लेकर आया है एक पवित्र अवसर। इसके माध्यम से आप अपने घर से ही काशी के अस्सी घाट पर आयोजित गंगा पंचामृत अभिषेक, गंगा आरती और 21,000 दीप दान में जुड़ सकते हैं और उस दिव्य क्षण की अनुभूति घर बैठे ही कर सकते हैं। यह ऐसा अवसर है जिसमें भक्ति, श्रद्धा और आस्था का संगम एक साथ अनुभव किया जा सकता है।
🌊 इस अनुष्ठान में शामिल गंगा पंचामृत अभिषेक बहुत विशेष माना गया है। इसमें गंगा जल, दूध, दही, शहद और घी से माँ गंगा का अभिषेक किया जाएगा। यह अभिषेक जीवन की नकारात्मकता को दूर कर आत्मिक पवित्रता और संतुलन का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद होगी भव्य गंगा आरती, जिसमें सैकड़ों दीप एक साथ जलाए जाएंगे और माँ गंगा को समर्पित किए जाएंगे। इस आरती के दौरान गंगा तट पर बजते शंख और मंत्रों की ध्वनि वातावरण को दिव्यता से भर देती है।
🪔 इसी के साथ आयोजित होगा 21,000 दीप दान, जो जीवन में प्रकाश, सुख और समृद्धि के प्रवेश का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि दीप दान से पापों का क्षय होता है, घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और मन को शांति प्राप्त होती है। देव दिवाली की रात को भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का संहार किया था, इसलिए यह पर्व अंधकार पर प्रकाश और नकारात्मकता पर सत्य की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस पावन अवसर पर माँ गंगा और भगवान शिव की आराधना कर व्यक्ति अच्छे स्वास्थ्य, पापों से मुक्ति और पारिवारिक सुख की कामना कर सकता है।
✨ श्री मंदिर के माध्यम से अभी भाग लेकर इस दिव्य अवसर का हिस्सा बनें और काशी में हो रहे इस दिव्य अनुष्ठान की दिव्यता को अपने घर तक पहुँचाएँ।