🌸 जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण की दिव्य उपस्थिति
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी (शनिवार, 16 अगस्त 2025) की पावन रात को श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इस शुभ रात में दुनिया भर के भक्त न सिर्फ भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाते हैं, बल्कि राधा रानी और श्रीकृष्ण के शाश्वत प्रेम की भक्ति से जुड़ते हैं। राधा-कृष्ण की यह जोड़ी निःस्वार्थ प्रेम और आत्मिक एकता की प्रतीक मानी जाती है, जो मन और आत्मा को शुद्ध करती है। इस खास मौके पर एक विशेष चतुर महा-आरती दर्शन यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। इसमें जन्माष्टमी के दिन चार खास आरतियों मंगला, श्रृंगार, संध्या और निशिता आरती के दर्शन करने का अवसर मिलेगा। ये आरतियाँ पूरे दिन के अलग-अलग शुभ समय पर की जाती हैं। भक्त पूरे दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में लीन रहते हैं और रात के मध्य में निशित काल की आरती के साथ श्रीकृष्ण के जन्म का स्वागत करते हैं।
🔱 दिव्य सुरक्षा और दोष शांति हेतु चार पवित्र आरतियाँ
ऐसा माना जाता है कि जन्माष्टमी के दिन चारों आरतियों में शामिल होने से मन को गहरी शांति, आत्मा को सुरक्षा, और जीवन में चल रहे मानसिक, भावनात्मक और रिश्तों से जुड़े दोषों से मुक्ति मिल सकती है। ये चारों आरतियाँ केवल पूजा की विधियाँ नहीं हैं, बल्कि दिन के विशेष समय पर भगवान श्रीकृष्ण की ऊर्जा से जुड़ने का माध्यम होती हैं। इन आरतियों के जरिए हम अपनी चेतना को उनकी लीलाओं से जोड़ते हैं और उनके चरणों की कृपा प्राप्त करते हैं। यह विशेष अनुष्ठान मथुरा के प्रसिद्ध श्री राधा रमण मंदिर में संपन्न होगा, जो वृंदावन के सात प्रमुख प्राचीन मंदिरों में से एक है।
इसकी स्थापना 1542 ई. में चैतन्य महाप्रभु के शिष्य गोपाल भट्ट गोस्वामी द्वारा की गई थी। यहां के राधा रमण जी स्वयंभू शालिग्राम शिला रूप में विराजमान हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे बिना किसी मानवीय नक्काशी के स्वयं प्रकट हुए थे। कठोर पूजा पद्धति और भक्ति की परंपरा के कारण यह मंदिर जन्माष्टमी पर एक दिव्य केंद्र बन जाता है, जहाँ वृंदावन की शाश्वत भक्ति की झलक मिलती है। श्री मंदिर की लाइव भागीदारी के माध्यम से, भक्त घर बैठे इस आध्यात्मिक उत्सव से जुड़ सकते हैं, और श्री राधा-कृष्ण को अर्पित हर आरती व सेवा के साथ उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।