क्या कभी आपको ऐसा महसूस हुआ है कि आपके पितरों का आशीर्वाद आपके जीवन तक पूरी तरह नहीं पहुँच पा रहा है? शास्त्रों में कहा गया है कि जब पूर्वजों की कुछ इच्छाएँ अधूरी रह जाती हैं, तो उनकी आत्माएँ शांति और मोक्ष की प्रतीक्षा करती हैं। ऐसी स्थिति में परिवार में पितृ दोष उत्पन्न होता है, जिससे विवाह, स्वास्थ्य और प्रगति से जुड़े कार्यों में रुकावटें आने लगती हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, अधूरी इच्छाओं से बंधी आत्माएँ परिवार में अनजाने क्लेश ला सकती हैं।
ऐसे समय में एकादशी जैसे पुण्यकारी दिन विशेष महत्व रखते हैं। पापांकुशा एकादशी पर गोकर्ण में किया जाने वाला पितृ कृपा अनुष्ठान विशेष रूप से प्रभावी माना गया है। गोकर्ण को मोक्षभूमि कहा गया है और यहाँ भगवान शिव का आत्म-लिंग विराजमान है। इस दिन यहाँ की जाने वाली पितृ शांति महापूजा और तिल तर्पण पितरों की शांति और परिवार के कल्याण से जुड़े अनुष्ठान माने जाते हैं।
🔱 अनुष्ठान की मुख्य विधियाँ
🙏 पितृ शांति महापूजा – इसमें पितरों की आत्माओं के लिए शांति और मोक्ष की प्रार्थना की जाती है। यह पूजा परिवार पर पड़े पितृ दोष को शांत करने का साधन मानी जाती है।
🙏 तिल तर्पणम् – इसमें तिल और जल अर्पित कर पितरों का स्मरण किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, यह विधि पूर्वजों की तृप्ति और उनके आशीर्वाद को आकर्षित करने का माध्यम है।
पापांकुशा एकादशी पर गोकर्ण में किया गया यह अनुष्ठान पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने, उनकी स्मृति को सम्मान देने और परिवार में शांति व सद्भाव लाने का अवसर माना जाता है। यह दिन पितरों के आशीर्वाद से जुड़ने का शुभ समय है। आप भी इस पावन मुहूर्त में श्री मंदिर के माध्यम से सम्मिलित हो सकते हैं।