सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है और इसे भक्ति, शांति और आंतरिक स्थिरता के लिए विशेष माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि जब जीवन में लगातार मानसिक तनाव, स्वास्थ्य संबंधी चिंता, आर्थिक असंतुलन या निर्णयों को लेकर भ्रम हो, तब भगवान शिव की पूजा एक ऐसा साधन बन सकती है, जो आत्मा को शांत कर संतुलन प्रदान करे। विशेष रूप से सोमवार को किया गया रुद्राभिषेक मन को स्थिर करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का प्रभावशाली माध्यम माना गया है। शिवलिंग पर अभिषेक के लिए प्रयुक्त हर द्रव्य का अपना एक विशिष्ट प्रतीकात्मक और आध्यात्मिक महत्व होता है जैसे जल से शुद्धि, दूध से मानसिक शांति, भस्म से आंतरिक अहंकार का शमन और बेलपत्र से शिव की कृपा की अनुभूति।
इसी भावना के साथ, सोमवार के प्रदोष काल में, जब भगवान शिव की उपासना का सर्वाधिक शुभ समय माना जाता है, श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में 21 दिव्य द्रव्यों से महा रुद्राभिषेक और 1008 बार पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” के जाप का विशेष आयोजन किया जा रहा है। इस विशेष अभिषेक में जिन 21 द्रव्यों का प्रयोग होगा, उनमें शामिल हैं जल, दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, बेलपत्र, चंदन, पुष्प, नारियल जल, गन्ने का रस, भस्म, फल, अक्षत, सरसों का तेल, नींबू रस, गुलाब जल, हल्दी जल, गेहूं इत्यादि। ये सभी द्रव्य जीवन के अलग-अलग पक्षों जैसे स्वास्थ्य, समृद्धि, संबंधों और मानसिक शांति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
जब यह अभिषेक पवित्र ज्योतिर्लिंग में संपन्न होता है, तो उसकी आध्यात्मिक गहराई और प्रभाव और भी सघन मानी जाती है। इसलिए यह केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि अपने भीतर झांकने और शांति का अनुभव करने का एक सशक्त अवसर है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस प्रदोष कालीन रुद्राभिषेक और मंत्र जाप अनुष्ठान में भाग लेकर, शिव की कृपा से भीतर की दिशा और जीवन का संतुलन प्राप्त करें।