कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवउठनी एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, अत्यंत पावन और मंगलकारी तिथि मानी जाती है। यह दिन भगवान श्री हरि विष्णु के चार माह की योगनिद्रा से जागने का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन से समस्त शुभ कार्य, विवाह, यज्ञ, गृहमंगल और धार्मिक अनुष्ठान पुनः प्रारंभ किए जाते हैं। चातुर्मास के दौरान जिन कर्मों पर विराम लगा रहता है, देवउठनी एकादशी के साथ वे सभी पुनः आरंभ हो जाते हैं। यहीं कारण हैं कि भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए इस दिन अत्यंत फलदायक बताया गया है।
इस दिन का एक विशेष और पूजनीय विधान है भगवान विष्णु और माता तुलसी का विवाह, जिसे तुलसी-विवाह कहा जाता है। यह विवाह संसार में शुभ कर्मों की पुनः स्थापना और दांपत्य जीवन में सामंजस्य का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि तुलसी विवाह के आयोजन से घर में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और वैवाहिक आनंद की वृद्धि होती है। प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार जालंधर नामक एक पराक्रमी असुर था जिसकी पत्नी वृंदा भगवान विष्णु की महान भक्त थीं। उनकी पतिव्रता शक्ति के कारण जालंधर अजेय बन गया था। जब उसके अत्याचारों से पृथ्वी डोल उठी, तब देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। भगवान विष्णु ने जालंधर का रूप धारण कर वृंदा के सतीत्व को खंडित किया, जिससे जालंधर की शक्तियां नष्ट हो गईं और भगवान शिव ने उसका संहार किया।
जब वृंदा को यह छल ज्ञात हुआ, तो उन्होंने क्रोध में विष्णुजी को पत्थर बनने का श्राप दिया। फलस्वरूप वे शालिग्राम शिला के रूप में प्रकट हुए। बाद में मां लक्ष्मी के निवेदन पर वृंदा ने श्राप वापस लिया और स्वयं अपने पति के वियोग में सती हो गईं। उनकी राख से जो पवित्र पौधा उत्पन्न हुआ, वही तुलसी कहलाया। भगवान विष्णु ने वरदान दिया कि अब से शालिग्राम और तुलसी का संयुक्त पूजन ही पूर्ण फल देने वाला होगा। यही कारण है कि देवउठनी एकादशी के पावन अवसर पर श्री विष्णु और तुलसी माता की कृपा प्राप्ति के लिए विविध अनुष्ठानकिए जाते हैं।
जिनमें शालिग्राम पंचामृत अभिषेक, तुलसी-विवाह पूजन और 11,000 विष्णु द्वादशाक्षरी मंत्र जाप मुख्य है। इस दिव्य कृपा को आमंत्रित करने के लिए यह अनुष्ठान श्री मंदिर के माध्यम से मथुरा के श्री दीर्घ विष्णु मंदिर में आयोजित किया जा रहा है। यह पावन अनुष्ठान एकादशी से शुरु होकर कार्तिक मास के समापन तक तीन दिन विधिवत रूप से किया जाएगा, जिसमें विशेष मंत्रोच्चार, पूजन और हवन द्वारा भगवान विष्णु एवं माता तुलसी की आराधना की जाएगी।
आप भी इस 3 दिवसीय पावन अनुष्ठान में 🌺 श्री मंदिर 🌺 के माध्यम से भाग ले सकते हैं और भगवान विष्णु 🕉️ एवं माता तुलसी 🌿 का संयुक्त आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। ✨