🧿 सनातन धर्म में श्री काल भैरव की आराधना का विशेष महीना मार्गशीर्ष (अगहन) को माना गया है, क्योंकि इसी महीने भैरव अष्टमी आती है, जो भगवान शिव के उग्र स्वरूप श्री काल भैरव का प्राकट्य दिवस है। मान्यता है कि इस महीने भैरव जी की पूजा से नकारात्मक ऊर्जाओं, भय, शत्रु और बाधाओं से रक्षा संभव है। इस मौके पर काशी के श्री काल भैरव मंदिर में तंत्र युक्त महायज्ञ एवं कालभैरवाष्टकम् का आयोजन होने जा रहा है, जो जीवन में अटूट साहस के साथ आगे बढ़ने की राह बना सकता है। विद्वान मानते हैं कि इस अनुष्ठान से नकारात्मकता कोसों दूर भागती है और जीवन में सही दिशा का आशीर्वाद मिलता है।
🧿 काशी में संपन्न होने वाला श्री कालभैरव तंत्र युक्त महायज्ञ अद्भुत आध्यात्मिक शक्ति और रक्षण का अनुष्ठान माना गया है। यह यज्ञ भगवान शिव के रुद्र रूप को समर्पित है, जो ‘काशी के कोतवाल’ भी हैं। इस महायज्ञ में भैरव तंत्र के गूढ़ मंत्रों, काले तिल, नींबू, तेल, और सरसों जैसे द्रव्यों से आहुति दी जाती है। दिव्य काल में किया जाने वाला यह यज्ञ शत्रु, भय, तंत्र-बाधा और नकारात्मक ऊर्जाओं से राहत के द्वार खोल सकता है। काशी के विद्वान पुरोहितों द्वारा होने जा रही इस महापूजा से आध्यात्मिक शक्ति, साहस और अदृश्य संरक्षण का अनुभव संभव है।
🧿 इस अनुष्ठान में शामिल कालभैरवाष्टकम् भगवान शिव के उग्रतम रूप की स्तुति है, जिसकी रचना आदि शंकराचार्य द्वारा की गई मानी जाती है। यह स्तोत्र 8 श्लोकों में बंधा है, जिनमें कालभैरव के शौर्य, करुणा और जगत की रक्षा करने वाले स्वरूप का वर्णन किया गया है। इसका पाठ भय, शत्रु, तंत्र-बाधा, और मानसिक अशांति से राहत के लिए जाना जाता है। विशेष रूप से मार्गशीर्ष महीने में इसका विधिवत पाठ बेहद फलदायी हो सकता है। ‘भैरवाष्टकम्’ का जप व्यक्ति को आत्मविश्वास, साहस और अदृश्य दिव्य संरक्षण का आशीष प्रदान करता है।
📿 श्री मंदिर द्वारा श्री काल भैरव माह में तंत्र युक्त महायज्ञ एवं कालभैरवाष्टकम् में भाग लें और जीवन में अटूट साहस की प्राप्ति और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा का आशीर्वाद पाएं