देवउठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, भगवान विष्णु के दिव्य जागरण का दिन मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि चातुर्मास के चार माह के विश्राम के बाद इस दिन भगवान विष्णु पुनः सृष्टि के कार्यों में सक्रिय होते हैं। सनातन धर्म में यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है क्योंकि यह दैवीय ऊर्जा के पुनर्जागरण और जीवन को ईश्वरीय क्रम से जोड़ने का प्रतीक है। इस पवित्र देवउठनी एकादशी पर श्री मंदिर आपको आमंत्रित करता है कि आप गोकर्ण तीर्थ क्षेत्र (दक्षिण काशी) में आयोजित नारायण बली पूजा, त्रिपिंडी श्राद्ध और तिल होम में सहभागी बनें। यह वही स्थान है जहाँ भगवान शिव के सदा निवास करने की मान्यता है।
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन किए गए ये कर्मकांड अत्यंत शक्तिशाली माने जाते हैं। ये जीवन के कर्मिक बोझ को हल्का करते हैं, ऊर्जा का संतुलन बनाते हैं और भगवान विष्णु व भगवान शिव दोनों के आशीर्वाद से आत्मिक शांति और उत्थान प्रदान करते हैं। गोकर्ण की पवित्रता हर मंत्र और आहुति की शक्ति को कई गुना बढ़ा देती है, इसलिए यह स्थान ऐसे अनुष्ठानों के लिए सबसे शुभ माना जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, अधूरे कर्मों या अकाल मृत्यु से उत्पन्न अशांत ऊर्जाएँ परिवार और जीवन की प्रगति में बाधा डाल सकती हैं। इन पवित्र अनुष्ठानों का उद्देश्य ऐसी ऊर्जाओं को मुक्त कर जीवन में फिर से संतुलन और शांति स्थापित करना है।
🔹 नारायण बली पूजा – यह पूजा उन आत्माओं की राहत के लिए की जाती है जो अभी भी अस्थिर हैं, ताकि उन्हें शांति मिल सके और सूक्ष्म लोक में संतुलन स्थापित हो।
🔹 त्रिपिंडी श्राद्ध – यह कर्मिक ऋण और भूले-बिसरे पूर्वजों के दायित्वों को पूर्ण करने के लिए किया जाता है, जिससे वंश में सौहार्द और सुख की प्राप्ति होती है।
🔹 तिल होम – इसमें तिलों की आहुति अग्नि में दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे पितृ एवं दैवीय शक्तियाँ तृप्त होती हैं और शुभ ऊर्जा का संचार होता है।
इन सभी अनुष्ठानों की शक्ति को और प्रबल बनाता है गोकर्ण का पवित्र स्थल, जहाँ हर मंत्र और अर्पण का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। यहाँ किए गए ये कर्मकांड मोक्ष की दिशा में प्रगति को तीव्र करते हैं और मन में गहरी शांति और उपचार का अनुभव कराते हैं।
🙏 इस देवउठनी एकादशी पर श्री मंदिर के मार्गदर्शन में गोकर्ण तीर्थ क्षेत्र में इन दिव्य अनुष्ठानों में भाग लेकर अपने जीवन में दैवीय संतुलन, शांति और आध्यात्मिक नवजीवन का अनुभव करें।