🙏 रोज़मर्रा की भागदौड़ में हम बहुत सी पूजा-विधियों का पूरी तरह से पालन नहीं कर पाते। मन में इच्छा होती है, लेकिन समय और परिस्थितियां साथ नहीं देतीं। ऐसे में कई बार यह चिंता होती है कि क्या हमने भगवान को प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त किया है? क्या हमारे परिवार के स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मिलेगा?
शास्त्रों में कहा गया है कि कार्तिक मास के अंतिम पाँच दिन – देवउठनी एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक – पूरे महीने से भी ज्यादा शक्तिशाली माने गए हैं। ऐसा माना जाता है कि इन 5 दिनों में की गई पूजा का फल पूरे कार्तिक मास में किए गए सभी पुण्यों के बराबर मिल सकता है।
🌙 देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। इस जागरण से सृष्टि में शुभता और नई शुरुआत की ऊर्जा फैलती है। माता लक्ष्मी भी इस समय अत्यंत प्रसन्न रहती हैं और भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।
🔱 इसके बाद आता है वैकुंठ चतुर्दशी, जो काशी में अत्यंत उल्लास के साथ मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव एक-दूसरे की पूजा करते हैं। यह दिव्य मिलन – “हरि-हर संगम” – इतना पवित्र माना गया है कि कहा गया है कि इस दिन भक्तों के लिए वैकुंठ के द्वार खुल जाते हैं।
✨ यह 5-दिवसीय महोत्सव ईश्वर की उपासना की अलग-अलग विधियों और महत्वों को दर्शाता है:
एकादशी – भगवान विष्णु जागरण पूजा और पितरों की शांति के लिए नारायण बलि / तर्पण
तुलसी विवाह – घर-परिवार में सुख, प्रेम और सौहार्द के लिए
सोम प्रदोष – भगवान शिव की उपासना, स्वास्थ्य और कष्ट-निवारण हेतु
वैकुंठ चतुर्दशी – हरि-हर के संयुक्त आशीर्वाद से रक्षा और कल्याण
कार्तिक पूर्णिमा (देव दीपावली) – दीपदान से धन-संपदा, शांति और प्रकाश का आशीर्वाद
🪔 श्री मंदिर द्वारा आयोजित यह विशेष 5-दिवसीय महाउत्सव आपको कार्तिक मास के संपूर्ण पुण्य और कृपा का लाभ प्राप्त कराने का माध्यम है – ताकि आपके घर में सौभाग्य, सेहत, समृद्धि और शांति का प्रकाश बना रहे।