देवउठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और सृष्टि के कार्यों को पुनः प्रारंभ करते हैं। यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है क्योंकि यह दैवीय चेतना के पुनर्जागरण और कर्मों के नवसृजन का प्रतीक होती है। विश्वास है कि इस दिन की गई पूजा से जीवन में रुकी हुई ऊर्जा पुनः जाग्रत होती है और सकारात्मकता का प्रवाह बढ़ता है।
देवउठनी एकादशी के इस पावन अवसर पर लक्ष्मी नारायण पूजा, शिव रुद्राभिषेक और आंवला अर्चना का विशेष संयोजन अत्यंत शुभ और प्रभावशाली माना गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की संयुक्त आराधना से जीवन में धन, सौभाग्य और स्थायित्व का आशीर्वाद प्राप्त होता है। देवी लक्ष्मी को समृद्धि, सौंदर्य और मंगल की अधिष्ठात्री देवी कहा गया है, जो भक्त के जीवन में संतुलन, आनंद और आर्थिक स्थिरता प्रदान करती हैं।
मान्यता है कि भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा व्यक्ति के आर्थिक क्षेत्र में आई रुकावटों को दूर करती है और परिवार में शांति व सामंजस्य बनाए रखती है। भगवान विष्णु की कृपा से मन में स्थिरता आती है और कठिन परिस्थितियों में भी व्यक्ति धैर्य बनाए रखता है। वहीं भगवान शिव का रुद्राभिषेक शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करने वाला अनुष्ठान माना गया है। ऐसा विश्वास है कि रुद्राभिषेक के प्रभाव से साधक नकारात्मक ऊर्जा, भय और रोगों से राहत पाता है।
जब माँ लक्ष्मी, भगवान विष्णु और भगवान शिव की संयुक्त पूजा की जाती है, तब यह आराधना साधक के चारों ओर एक दैवीय कवच की तरह कार्य करती है जो हर प्रकार की प्रतिकूलता से रक्षा करती है। इसी प्रकार देवउठनी एकादशी पर किए जाने वाले आंवला अर्चन का भी विशेष महत्व बताया गया है। आंवला वृक्ष को भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है। इसके पूजन से दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। ऐसा कहा गया है कि आंवला अर्चना से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है और ग्रहों से जुड़ी नकारात्मकता शांत होती है।
इन तीनों पूजाओं लक्ष्मी नारायण पूजा, शिव रुद्राभिषेक और आंवला अर्चना का संयुक्त प्रभाव साधक को जीवन की हर प्रतिकूलता, तनाव और शारीरिक कष्टों से सुरक्षा प्रदान कर सकता है। इसी संयुक्त कृपा की प्राप्ति के लिए इस देवउठनी एकादशी पर तमिलनाडु के एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में इन तीनों दिव्य अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है।
आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस सर्व सुरक्षा विशेष पूजा में भाग लें और भगवान लक्ष्मी नारायण व भगवान शिव की संयुक्त कृपा से अपने जीवन में स्वास्थ्य, शांति और स्थायी संरक्षण का आशीर्वाद प्राप्त करें।