कभी-कभी जीवन में सब कुछ ठीक करने के बाद भी ऐसा महसूस होता है जैसे कोई अदृश्य शक्ति या विरोधी आपकी सफलता और शांति के मार्ग में रुकावट डाल रहा हो। यह लगातार संघर्ष और असफलता का अनुभव बहुत थकाने वाला होता है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि जब ऐसा अनुभव होता है, तो यह किसी शत्रु द्वारा उत्पन्न बाधा या आध्यात्मिक सुरक्षा की कमी का संकेत हो सकता है। जब मन चिंता से घिर जाता है और कार्य अटकने लगते हैं, तो यह समय होता है मां बगलामुखी की शरण लेने का।
मां बगलामुखी को स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री देवी कहा गया है, जो शत्रुओं की नकारात्मक क्रियाओं को रोक देती हैं। वे परम शत्रु विनाशिनी हैं, जो अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और सभी प्रकार के विरोधों को समाप्त करती हैं।
शास्त्रों में एक कथा आती है कि जब एक भयंकर आंधी ने पूरे सृष्टि को नष्ट करने का खतरा पैदा कर दिया, तब देवता मां से रक्षा की प्रार्थना करने लगे। उसी समय मां बगलामुखी हरिद्रा सरोवर से प्रकट हुईं, उनका पूरा शरीर सुनहरी आभा से दमक रहा था। उनके प्रकट होते ही तूफान शांत हो गया और विनाशकारी शक्ति रुक गई। यही उनकी स्तंभन शक्ति का प्रतीक है। जैसे उन्होंने ब्रह्मांड की रक्षा की, वैसे ही वे अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और किसी भी नकारात्मक शक्ति को उनके पास आने नहीं देतीं।
त्रिकोण कुंड यज्ञ इसी कथा का प्रतीकात्मक रूप है। त्रिकोण आकार का यह कुंड धनुष और बाण का प्रतीक माना जाता है, जो नकारात्मकता का नाश करता है और शत्रुओं के दुष्कर्मों को निष्क्रिय कर देता है। शनिवार के दिन किया गया यह यज्ञ अत्यंत शुभ माना गया है, क्योंकि इस दिन की ऊर्जा मां की स्तंभन शक्ति को और प्रबल बनाती है। इस यज्ञ के माध्यम से शत्रुओं पर विजय, न्यायिक मामलों में सफलता और आत्मरक्षा का वरदान मां से प्राप्त किया जाता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से की जाने वाली यह विशेष पूजा नकारात्मक शक्तियों को निष्क्रिय कर आपके जीवन में विजय और सुरक्षा का आशीर्वाद लाती है।