महानवमी नवरात्रि का एक अत्यंत पावन पर्व माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना पूरी श्रद्धा से की जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह दिन शक्ति और विजय का प्रतीक है और इसी दिन देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध करके धर्म की रक्षा की थी। इसलिए महानवमी पर पूजा और अनुष्ठानों का विशेष महत्व होता है। इस दिन एक प्रमुख परंपरा होती है आयुध पूजा, जिसे अस्त्र शस्त्र पूजा भी कहा जाता है। इसका अर्थ केवल युद्ध के हथियारों से नहीं है बल्कि हमारे जीवन में काम आने वाले हर उपकरण, औजार और साधन से भी है। किसान अपने हल की पूजा करते हैं, विद्यार्थी अपनी किताबों की पूजा करते हैं और कारीगर अपने औजारों की।
यह पूजा हमें यह याद दिलाती है कि जिन वस्तुओं से हम अपना कार्य पूरा करते हैं वे हमारे साथी हैं और उनके प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करना आवश्यक है। आयुध पूजा का संबंध केवल परंपरा से नहीं बल्कि हमारे करियर और जीवन की उन्नति से भी जुड़ा माना जाता है। जब हम अपने कार्यस्थल में प्रयुक्त साधनों का आदर करते हैं तो वह कार्यक्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। माना जाता है कि इस दिन की गई आयुध पूजा से करियर की बाधाएं कम होती हैं और नए अवसर खुलते हैं। यह पूजा आत्मविश्वास और मनोबल को भी बढ़ाती है जिससे व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और एकाग्रता बनाए रखता है। महानवमी पर करियर की उन्नति और समृद्धि के लिए महालक्ष्मी की उपासना का भी विशेष महत्व है।
मान्यता है कि आयुध पूजा के साथ यदि 11,000 महालक्ष्मी मंत्र जाप, वैभव लक्ष्मी पूजा और श्री यंत्र पूजन किया जाए तो यह व्यक्ति के जीवन में नए मार्ग खोलने में सहायक माना जाता है। ऐसा करने से न केवल आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक सोच का अनुभव भी मिलता है। यही कारण है कि श्री मंदिर द्वारा भारत के सबसे बड़े शक्तिपीठों में से एक, कोल्हापुर स्थित महालक्ष्मी अम्बाबाई मंदिर में इस विशेष अवसर पर दिव्य अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में सम्मिलित होकर आप भी अपने करियर की उन्नति, परिवार की समृद्धि और जीवन में स्थिरता के लिए देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा का हिस्सा बनें।🙏