🌸 गोकर्ण तीर्थ में मोक्षदा एकादशी पर नारायण बलि और त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष शांति पूजा में भाग लेने पूर्वजों का खोया आशीष वापस लौट सकता है। विद्वान मानते हैं कि मोक्षदा एकादशी पितृ कर्मों के लिए सबसे शुभ तिथियों में से एक है। मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी है, जो मोक्ष और पितृ-उद्धार के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन विष्णु जी की उपासना, पितृ पूजा से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और पितरों को सद्गति प्राप्त हो सकती है। इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए मोक्षदा एकादशी पर ‘दक्षिण काशी’ गोकर्ण में नारायण बलि पूजा, त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष शांति महापूजा होने जा रही है।
🪔 गोकर्ण तीर्थ, जिसे दक्षिण का काशी कहा जाता है, कर्नाटक स्थित एक अत्यंत पवित्र स्थान है, जहाँ इन अनुष्ठानों को करना बहुत प्रभावशाली माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, यहाँ पितृ शांति अनुष्ठान करने से अपार आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है और यहाँ किए गए प्रत्येक अर्पण का फल कई गुना बढ़ जाता है। जो लोग पितृ दोष से परेशान हैं, जैसे कि नौकरी में रुकावटें, परिवार में विवाद, बच्चों की शिक्षा में विलंब, स्वास्थ्य समस्याएँ, या आर्थिक अस्थिरता, वे इन शक्तिशाली अनुष्ठानों से राहत प्राप्त कर सकते हैं और जीवन में संतुलन स्थापित कर सकते हैं।
📿गोकर्ण तीर्थ में नारायण बलि पूजा और त्रिपिंडी श्राद्ध पितृ दोष शांति पूजा का विशेष महत्व है:
नारायण बलि पूजा: यह पूजा उन पितरों की आत्माओं को शांति देने के लिए की जाती है, जो अधूरी इच्छाओं या कर्मों के कारण अशांत होते हैं।
त्रिपिंडी श्राद्ध: यह उन पितरों के लिए किया जाता है जिनका श्राद्ध कभी नहीं किया गया या विलंब से किया गया।
पितृ दोष शांति पूजा: यह पूजा पितृ शापों से राहत, विवाह में अड़चनों, वित्तीय संघर्षों, स्वास्थ्य समस्याओं और परिवारिक विवादों से राहत के लिए की जाती है।
🕉️ गोकर्ण तीर्थ में मोक्षदा एकादशी पर इन पवित्र अनुष्ठानों को करना पितरों की आत्मा को शांति दे सकता है, पितृ ऋण से राहत दिलाता है और परिवार में शांति, समृद्धि और उन्नति का आशीष लाता है।
यह एक दुर्लभ और शक्तिशाली अवसर है अपने पूर्वजों का सम्मान करने और पितृ दोषों से राहत पाने का। श्री मंदिर के साथ इस अनुष्ठान में भाग लेने का सुनहरा अवसर न खोएं और जीवन में शांति, सुरक्षा और प्रगति के द्वार खोलें।