🌸 ज्योतिष और परंपरागत ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, यह पूरा वर्ष भगवान श्री मंगल की मजबूत ऊर्जा से प्रभावित रहा है। ग्रह गोचर और पंचांग की गणना बताती है कि मंगल की शक्ति पूरे साल सक्रिय रही। ऐसा माना जाता है कि यह समय जीवन के महत्वपूर्ण मामलों में स्पष्टता, निर्णय लेने की क्षमता और आगे बढ़ने की ऊर्जा देता है।
🌸 दिसंबर शुरू होते ही, जो मंगल वर्ष का अंतिम महीना है, भक्त इसे बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं। इस समय लोग मांगलिक दोष से राहत और संबंधों में शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। जब विवाह बार-बार रुक जाता है, रिश्तों में गलतफहमियाँ आती रहती हैं, या सब कोशिशों के बावजूद बात आगे नहीं बढ़ती, तब शास्त्र बताते हैं कि असंतुलित मंगल ऊर्जा इसका कारण हो सकती है। ऐसी स्थिति में भगवान मंगल के जन्मस्थान श्री मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन में पूजा करना मन को संतुलित करने और विवाह से जुड़ी रुकावटों को कम करने में सहायक माना जाता है।
🌸 पवित्र ग्रंथों में भगवान मंगल का जन्म भगवान शिव से जुड़ा बताया गया है। मत्स्य पुराण के अनुसार, एक समय भगवान शिव शक्तिशाली राक्षस अंधकासुर से युद्ध कर रहे थे। युद्ध के दौरान उनके माथे की एक बूँद पसीना धरती पर गिरी। उसी बूँद से एक तेजस्वी बालक प्रकट हुआ। इस बालक ने राक्षस का रक्त पिया और उसका शरीर लाल हो गया। देवताओं ने इस दिव्य बालक को देखकर उसी स्थान पर शिवलिंग स्थापित किया और नाम दिया मंगलनाथ महादेव। ऐसा माना जाता है कि यही स्थान भगवान मंगल का जन्मस्थान है।
🌸 उज्जैन में पूजा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह वही भूमि है जहाँ भगवान मंगल का उदय हुआ था। यहाँ भगवान मंगल की पूजा भगवान मंगलनाथ, अर्थात् शिव के मंगल रूप में की जाती है। मंगलवार भगवान मंगल का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन भक्त भात पूजा (चावल अर्पण) और महाभिषेक करते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये अनुष्ठान मांगलिक दोष से जुड़ी समस्याओं, जैसे विवाह में देरी या रिश्तों में तनाव, को कम करने में सहायक होते हैं।
🌸 श्री मंदिर के माध्यम से आप इस विशेष पूजा में शामिल हो सकते हैं। मंगलवार के पवित्र दिन भगवान मंगल और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करके विवाह संबंधी परेशानियों का हल खोजने और अपने जीवन में स्थिरता तथा सुख लाने का प्रयास किया जा सकता है।