शनि अमावस्या, सूर्य ग्रहण और शनि गोचर का दुर्लभ संयोग – शनिदेव की कृपा पाने का अत्यंत शुभ अवसर🌑🔱
सनातन धर्म में शनिवार का दिन भगवान शनि को समर्पित माना जाता है, लेकिन इस बार का शनिवार विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन शनि देव मीन राशि में प्रवेश करने वाले हैं। इस दुर्लभ गोचर के साथ-साथ शनि अमावस्या और सूर्य ग्रहण का अद्भुत संयोग भी बन रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार, यह दिन उन लोगों के लिए बेहद शुभ है जो शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या के प्रभाव से मुक्ति पाना चाहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस अवसर पर शनि साढ़े साती पीड़ा शांति महापूजा, शनि तिल तेल अभिषेक और महादशा शांति महापूजा में भाग लेने से भक्तों को शनि के दोषों से राहत मिलती है और जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं। हिंदू धर्म में भगवान शनि को न्याय का देवता माना गया है। ऐसा विश्वास है कि वे प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। यदि किसी की कुंडली में शनि शुभ स्थिति में हो, तो उसे सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है, जबकि अशुभ स्थिति में व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसी कारण, लोग अपने जीवन में शांति और समृद्धि के लिए भगवान शनि की कृपा पाने का प्रयास करते हैं।
महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा शनि मंदिर माना जाता है, में शनिवार, शनि अमावस्या और सूर्य ग्रहण के दुर्लभ संयोग पर पूजा करना अत्यंत फलदायी होता है। इस मंदिर को 'जागृत देवस्थान' कहा जाता है, यानी यहां स्वयं शनिदेव प्रत्यक्ष रूप में विराजमान हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस प्राचीन मंदिर में शनि पूजा और तिल तेल चढ़ाने से शनि साढ़ेसाती के प्रभाव से मुक्ति मिल सकती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि की साढ़ेसाती ढाई-ढाई साल के तीन चरणों में होती है, और शनि की महादशा 19 साल तक चलती है। इस दौरान, शनि व्यक्ति के कर्मों और कुंडली में उनकी स्थिति के अनुसार शुभ-अशुभ प्रभाव डालते हैं। इन प्रभावों को शांत करने के लिए विशेष पूजाएं की जाती हैं, जिनमें शनि साढ़ेसाती पीड़ा शांति महापूजा, शनि तिल तेल अभिषेक, और महादशा शांति महापूजा को अत्यंत प्रभावी माना गया है। इसी कारण, यह पूजा शनि के गोचर, शनि अमावस्या और सूर्य ग्रहण के दुर्लभ संयोग के अवसर पर शनि शिंगणापुर स्थित श्री शनिदेव मंदिर में आयोजित की जा रही है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और शनिदेव की कृपा प्राप्त करें।