Temple Image 1
Temple Image 2
Temple Image 3
Temple Image 4
Temple Image 5

गोलू देवता मंदिर

गोलू देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है।

मानसखण्ड, उत्तराखंड, भारत

हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड की भूमि पर देवी-देवता निवास करते हैं। इ​सलिए इसे देवभूमि कहा जाता है। यहां देवी-देवताओं के कई चमत्कारिक मंदिरों के दर्शन होते हैं। इन्हीं में से एक है चितई गोलू देवता का मंदिर। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर गोलू देवता की कहानी क्या है और गोलू देवता क्यों प्रसिद्ध है और आप इस मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं? अल्मोड़ा शहर से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर की ख्याति देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक फैली हुई है। गोलू देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है। भक्त इनकी पूजा करते हैं और उनके या उनके परिवार के साथ हुए अन्याय के लिए न्याय मांगते हैं। इस मंदिर में न्याय की गुहार लगाने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं द्वारा लिखी गईं चिट्ठियां यह बताती हैं कि भक्तों का गोलू देवता के न्याय पर कितनी गहरी आस्था है। यही नहीं, न्याय मिलने पर भक्त यहां घंटियां भी टांगते हैं। मंदिर में आपको असंख्य घंटियां देखने को मिल जाएंगी। चितई गोलू देवता के इस मंदिर में हर महीने लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

मंदिर का इतिहास

इतिहास से मिली जानकारी के अनुसार, चितई गोलू देवता के इस मंदिर का निर्माण चंद वंश के एक सेनापति ने 12वीं शताब्दी में करवाया था। गोलू देवता अपने न्याय के लिए प्रसिद्ध हैं, उनकी इसी प्रसिद्धि को देखते हुए मंदिर का निर्माण करवाया गया। कहते हैं कि कई राजाओं ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। आइए हम जानते हैं कि कैसे गोलू देवता न्याय के देवता कहे जाने लगे। गोलू देवता की कहानी के अनुसार, कत्यूरी राजवंश के राजा झालुराई को कोई संतान नहीं थी। ज्योतिषि की सलाह पर उन्होंने भगवान भैंरव बाबा की कठोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें संतान सुख का वरदान दिया। भगवान भैंरव ने कहा, हे राजन् मैं स्वयं तुम्हारी आठवीं पत्नी के गर्भ से संतान के रूप में अवतार लूंगा। इसके बाद एक दिन राजा शिकार के लिए जंगल गए, जहां उन्हें ध्यान में लीन देवताओं की बहन कलिंगा से प्रेम हो गया और उन्होंने उससे विवाह कर लिया। कलिंगा राजा की आठवीं रानी बनीं। कलिंगा जब गर्भवती हुईं तो बाकी अन्य रानियों को उनसे ईर्ष्या होने लगी। सातों रानियों ने मिलकर कलिंगा के नवजात बच्चे को चुराकर उसकी जगह धोखे से एक पत्थर रख दिया और बच्चे को एक झील में फेंक दिया, जहां एक मछुआरे को वह बच्चा मिला। उसी ने बच्चे का लालन-पोषण किया। वह बच्चा जब बड़ा हुआ तो उसे एक दिन सपने में अपनी असली पहचान का एहसास हुआ। एक बार वह झील के किनारे एक लकड़ी के घोड़े को पानी पिलाने की कोशिश कर रहा था। राजा झालुराई ने लड़के को ऐसा करता देख उससे पूछा- लकड़ी के घोड़े को तुम पानी कैसे पिला सकते हो? इस पर लड़के ने राजा से पूछा- क्या कोई महिला पत्थर को जन्म दे सकती है? यह सुन राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ। लड़के ने राजा को भगवान भैंरव द्वारा दिए वरदान का भी बोध कराया, जिसके बाद राजा ने उस लड़के को अपने पुत्र के रूप में स्वीकार किया और दोषी रानियों को दंड दिया। हालांकि, बाद में अपने पुत्र के कहने पर रानियों को क्षमा कर दिया। बड़े होकर झालुराई के पुत्र ने राजा की जिम्मेदारी संभाली और अपनी प्रजा का ख्याल रखने व अपने न्याय के लिए लोकप्रिय हो गए। उन्हें ग्वाला देवता के रूप में माना जाने लगा। आगे चलकर इनका नाम गोलू देवता पड़ गया। गोलू देवता के भाई कलवा देवता भैरव के रूप में और बहन गढ़ देवी, शक्ति के रूप में हैं। उत्तराखंड के चमोली के गांवों में गोलू देवता को प्रमुख देवता (ईष्ट या कुल देवता) के रूप में भी पूजा जाता है।

मंदिर का महत्व

चितई गोलू देवता मंदिर की मान्यता है कि यहां भक्तों को न्याय मिलता है। मान्यता है कि जब किसी को कोर्ट-कचहरी या फिर अन्य जगहों से न्याय नहीं मिलता, तो वह गोलू देवता के समक्ष अर्जी लगाते हैं। कहते हैं कि लोग यहां मनोकामना पूरी होने के साथ प्रायश्चित करने के लिए भी घंटी चढ़ाते हैं। भक्त चिट्ठी ही नहीं बल्कि स्टांप पेपर पर भी अपनी अर्जी लिखकर गोलू देवता के समक्ष लगाते हैं।

मंदिर की वास्तुकला

पहाड़ी पर स्थित चितई गोलू देवता का यह भव्य मंदिर चीड़ और मिमोसा के घने जंगलों से घिरा हुआ है। मंदिर में मुख्य रूप से गोलू देवता की पूजा की जाती है। मंदिर में सफेद घोड़े पर सवार, सिर पर सफेद पगड़ी बांधे और हाथों में धनुष बाण लिए गोलू देवता की प्रतिमा के दर्शन होते हैं।

मंदिर का समय

timings Avatar

सुबह गोलू देवता मंदिर खुलने का समय

06:00 AM - 12:00 PM
timings Avatar

सांयकाल गोलू देवता मंदिर खुलने का समय

05:00 PM - 10:00 PM

मंदिर का प्रसाद

भक्त सफेद कपड़े, पगड़ी और सफेद शॉल के माध्यम से गोलू देवता की पूजा करते हैं। इसके अतिरिक्त भक्त देवता को घी, दूध, दही, हलवा, पूड़ी, पकौड़ी का भोग लगाकर पूजा करते हैं।

यात्रा विवरण

मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है

Loading...

सामाजिक मीडिया

मंदिर से जुड़ा सोशल मीडिया

youtube iconinstagram iconfacebook icon
srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

Address:

Firstprinciple AppsForBharat Private Limited 435, 1st Floor 17th Cross, 19th Main Rd, above Axis Bank, Sector 4, HSR Layout, Bengaluru, Karnataka 560102

Play StoreApp Store

हमे फॉलो करें

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2025 SriMandir, Inc. All rights reserved.