सनातन धर्म में नवरात्रि का बहुत विशेष महत्व है। नौ दिनों तक चलने वाला यह पर्व माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है। नवरात्रि के पहले दिन, मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। शैल का अर्थ होता है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण माता पार्वती को शैलपुत्री भी कहा जाता है। माता शैलपुत्री का स्वरूप बेहत शांत और सरल है। शैलपुत्री को वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है, ऐसा इसलिए है क्योंकि इनका वाहन वृषभ अर्थात नंदी है। नंदी को शक्ति-संपन्नता और कर्मठता यानि अद्वितीय शक्ति का प्रतीक माना जाता है। भगवान शिव के प्रति नंदी की भक्ति अपरंपार हैं। यही कारण है कि आज भी शिव भक्त भोलेनाथ के गर्भगृह में प्रवेश करने से पहले नंदी के कान में अपनी प्रार्थनाएँ कहते हैं। क्योंकि माना जाता है कि उनकी प्रार्थना नंदी सीधे भगवान शिव तक पहुंचाएंगे। वहीं देवी सती ने जब माता शैलपुत्री का रूप धारण किया तब भी नंदी ने ही उन्हें पहचाना और इस तरह वो उनका वाहन बने।
देवी भागवत पुराण के अनुसार प्रजापति दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया। उसमें सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा लेकिन अपने ही जमाता भगवान शिव और पुत्री सती को नहीं बुलाया। देवी सती भगवान शिव के मना करने के बाद भी पिता के यज्ञ समारोह में चली गई। वहां पर अपने पति भगवान शिव के अपमान से नाराज हो कर, उन्होंने यज्ञ का विध्वंस कर दिया। यज्ञ में अपनी आहूति देकर आत्मदाह कर लिया था। इससे कुपित हो कर भगवान शिव ने दक्ष का वध कर, महासमाधि धारण कर ली। देवी सती ने पर्वतराज हिमालय के घर में देवी पार्वती यानि माता शैलपुत्री के रूप में जन्म लिया। जिसके बाद वर्षों कठोर तपस्या करके भगवान शिव को माता सती ने अपने शैलपुत्री स्वरुप में पति के रूप में प्राप्त किया था। यही कारण है कि नवरात्रि में माता शैलपुत्री के दिन शिव शक्ति वृषभ पूजन और शिव-संपूर्ण वृषारूढ़ हवन करना अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। इस पूजन से देवी शैलपुत्री के साथ भगवान शिव एवं नंदी का भी आशीष पा सकते हैं। इसलिए नवरात्रि प्रारंभ के शुभ अवसर पर तिरुनेलवेली के एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में इस भव्य अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से शिव-शक्ति वृषारूढ़ विशेष शिव शक्ति वृषभ पूजन और शिव-संपूर्ण वृषारूढ़ हवन में भाग लें और देवी शैलपुत्री के साथ भगवान शिव एवं नंदी द्वारा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति एवं अद्वितीय शक्ति का दिव्य आशीष प्राप्त करें।