ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों का काफी महत्व होता है, क्योंकि इन्हीं ग्रहों के कारण व्यक्ति के जीवन में खुशियां और परेशानियां आती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो, सभी ग्रहों में राहु को सबसे खतरनाक ग्रह माना जाता है, क्योंकि यह जीवन में बहुत सारी परेशानियां लेकर आता है। जिसभी कुंडली में राहु युति करता है, उस कुंडली में राहु अशुभ प्रभाव प्रदान करता है। इसी के साथ उस जातक को कई सारी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। राहु के नकारात्मक प्रभावों से व्यक्ति के जीवन में मानसिक अस्थिरता, भय एवं चिंता जैसी कई तरह की समस्याओं का सिलसिला लगा रहता है। यदि किसी जातक पर राहु की बुरी दृष्टि पड़ जाए तो वह व्यक्ति दिन पर दिन शारीरिक रूप से कमजोर होने लगता है और बुरी आदतों में फंस जाता है। राहु के प्रकोप से पीड़ित व्यक्ति आत्मविश्वासी और कलंक का भी भागी हो सकता है। इसके अलावा कहा जाता है कि कुंडली में मौजूद राहु दोष जीवन में कई अशुभ घटनाओं का कारण भी बन सकता है। वैसे तो राहु जातक के जीवन में बुरे परिणाम देने के लिए विख्यात है। इसके बावजूद राहु की अपनी विशेषता है।
यदि किसी जातक के जीवन में यह शुभ स्थान पर हो, तो उसे जीवन में सफलता, लग्जरी और कई अन्य सुखद परिणाम मिल सकते हैं। ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह कहा गया है, जिसका अर्थ है कि अन्य ग्रहों की तरह इसका कोई भौतिक स्वरूप नहीं है। इस रूप में होने के बावजूद इसके दुष्प्रभाव सबसे भयावह हैं। हालांकि ज्योतिष शास्त्र में राहु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जिसमें राहु मूल मंत्र जाप भी है। यह भी कहा गया है कि राहु के अशुभत्व से मुक्ति के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि राहु भगवान शिव के भक्त हैं। इसके अलावा राहु द्वारा शासित नक्षत्र में अगर राहु की पूजा की जाती है तो इसके नकारात्मक प्रभाव में कमी आ सकती है। कुंडली में राहु के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए राहु मंत्र का जाप प्रभावशाली माना जाता है। इसलिए राहु द्वारा शासित स्वाति नक्षत्र में 18,000 राहु मूल मंत्र जाप के साथ दशांश हवन का आयोजन किया जा रहा है। भारतीय परम्पराओ में हवन का बहुत महत्व बताया गया है। दशांश हवन प्रत्येक मंत्रो को सिद्ध करने के बाद किया जाता है। दशांश हवन का अर्थ होता है कि जितना जप किया है उसका दस प्रतिशत हवन कर देना। इसलिए राहु द्वारा शासित स्वाति नक्षत्र में हरिद्वार के श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में होने वाले इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और भगवान शिव से राहु के अशुभ प्रभाव से मुक्ति का आशीष पाएं।